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भू धंसाव से जोशीमठ को हो रहे नुकसान के स्थाई समाधान के लिए जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति ने आपदा सचिव से की मुलाकात

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देहरादूनः जाशीमठ में भूधंसाव के चलते सैकडों घरों लगातार बढ रही दरारों से प्रभावित क्षेत्र की सुरक्षा और स्थाई समाधान की मांग को लेकर जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आपदा प्रबन्धन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि जोशीमठ जो कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है, नवंबर 2021 से भूस्खलन, भू धँसाव व घरों में निरंतर आ रही दरारों से प्रभावित है. इससे कभी भी बड़ी आपदा की आशंका लगातार बनी हुई है.
, जोशीमठ क्षेत्र मोरेन यानि हिमोड पर बसा हुआ है व पुराना भू स्खलन क्षेत्र है. 1976 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित मिश्रा कमेटी ने जोशीमठ के भूगर्भीय अध्ययन के उपरांत कहा था कि यह क्षेत्र लगातार नदी के कटाव व मोरेन होने के कारण नीचे की ओर खिसक रहा है. इसके बचाव के लिए कमेटी ने कई सुझाव भी दिये थे, जिन पर कभी अमल नहीं किया गया. ।
इसके बाद भी जोशीमठ पर कई अध्ययन हुए, जिनमें इस शहर के आपदा के लिहाज से संवेदनशील होने के तथ्य को चिन्हित किया गया है. 1998 के भूकंप ने, 2013 व 07 फरवरी 2021 की आपदा ने तथा उसके पश्चात 17-18-19 अक्टूबर 2021 की बरसात ने भी इस नगर को क्षति पहुंचाई, जिसका परिणाम है कि नवंबर 2021 से भू स्खलन, भू धँसाव एवं घरों में दरारों का बढ़ना दिखाई देने लगा.
नगर के बहुत से घर, भू स्खलन, भू धँसाव एवं घरों में दरारों के कारण रहने लायक भी नहीं रह गए हैं. लेकिन कोई विकल्प न होने के कारण लोग इनमें रहने को विवश हैं. यह किसी भी दिन बड़ी आपदा का सबब बन सकता है.
उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित कमेटी द्वारा हाल ही में नगर का सर्वेक्षण किया गया है. पूर्व में स्वतंत्र वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी उपलब्ध हैं.
उक्त परिदृश्य के आलोक में निवेदन है कि रू
जोशीमठ में घरों का तत्काल सर्वेक्षण करवाते हुए, इन घरों को संवेदनशील, अति संवेदनशील, भविष्य के लिहाज से संवेदनशील, तत्काल खाली कराए जाने व ध्वस्त कराये जाने योग्य घरों के रूप में चिन्हित करते हुए, आसन्न खतरे से निपटने के इंतजाम किए जाएं. जिन घरों को खाली कराया जाना है, उनके लिए सर्दी एवं बर्फबारी से पूर्व, अस्थायी एवं स्थायी इंतजामात किए जाएं.
जहां-जहां भूमि के धँसाव की आशंका है, वहाँ पर बसावटों को नियंत्रित किया जाए.
वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्टों को सख्ती से एवं यथावत लागू करने के लिए निगरानी कमेटी (मॉनिटरिंग कमेटी) बनाई जाये.
जल निकासी व्यवस्था हेतु तत्काल इंतजाम किए जाएँ. ऐसे इंतजाम कर लिए जाएँगे तो नुकसान को कम करना संभव होगा. सेना व आईटीबीपी के जल निकास का निस्तारण, नागरिक प्रशासन की जल निकास व्यवस्था के साथ समन्वय के करते हुए किया जाए. पूरे नगर को सीवेज व्यवस्था से जोड़ा जाए.
नगर के विस्थापन, पुनर्वास हेतु एक कमेटी का गठन किया जाए.
जोशीमठ नगर के भू स्खलन, भू धँसाव के संबंध में दिये गए सुझावों, कार्यवाहियों को राज्य के अन्य स्थानों पर उत्पन्न होने वाली ऐसी ही स्थितियों से निपटने के लिए मानक अथवा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया जाए. इस दौरान जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के

अतुल सती राज्य कमेटी सदस्यभाकपा (माले) ,कमल रतूड़ीपूर्व प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस ,अजय भट्ट सामाजिक कार्यकर्ता