गोपेश्वर: वर्तमान समय में सोसियल मिडिया पर प्रायोजित विडियो कांग्रेस पार्टी द्वारा खुब प्रचारित एवं प्रसारित किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी चमोली के पूर्व जिला अद्ययक्ष रघुवीर बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड में हासिये पर खड़ी कांग्रेस के राजनीतिक जानकारों को डुबती हूई नया को पार लगाने के लिए प्रपंचों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। बताते चलें कि जब से अजेय कुमार ने भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड के संगठन मंत्री के रुप में कमान संभाली तब से लेकर आजतक कांग्रेस कोई भी चुनाव जीत नहीं पायी। हर समय हारकर मुंह की खानी पड़ी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड के मिथक (एक बार भाजपा एक बार कांग्रेस) को तोड कर भारतीय जनता पार्टी की पूर्व बहुमत की सरकार बनाई हो अथवा पंचायत चुनावों में हरिद्वार में कांग्रेस का पत्ता साफ कर दिया हो या प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उप चुनाव से लेकर बागेश्वर के उप चुनावों में हर समय कांग्रेस पार्टी को जमानत बचाने के लाले पड़ गए। यह सब प्रदेश महामंत्री अजय कुमार के संगठन की पानी नजर और संगठन को पन्ना प्रमुख तक तक की रचना को सशक्त और सक्रिय बनाया है साथ ही संगठनात्मक गतिविधियों में अच्छी रुचि रखने वाले कार्यकर्ताओं को संगठन की जिम्मेदारी देना आदि कार्यशैली को देखकर राष्ट्रीय नेतृत्व भी अति प्रसन्न रहा है इतना ही नहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार द्वारा लिऐ गये अनेकों निर्णयों को देखते हुए कांग्रेस को दूर दूर तक राजनीतिक जमीन में निराशा ही निराशा दिखाई देती है । अपने अस्तित्व की लड़ाई लड रही कांग्रेस को लगता है कि जब तक अजेय कुमार भारतीय जनता पार्टी के संगठन मंत्री के रुप मे कार्य करते रहेंगे तब तक जीत की सफलता मिलना सपना ही रह जायेगा।ईसलिए वर्तमान समय में 2024 के लोकसभा चुनावों से ऐन पहले प्रायोजित षडयंत्र कर उत्तराखंड जैसे देव भूमि में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आदर्शों से निकले एवं भारत माता के लिए जीवन समर्पण करने वाले अजेय कुमार पर मित्थ्या आरोप लगा कर कलंकित करने का कांग्रेस दुस्साहस कर रही है। जिससे देव भूमि का जनमानस कभी माफ नहीं करेगा। दूसरी ओर अंकिता हत्याकांड का मामला न्यायालय में विगत वर्ष से विचाराधीन है और किसी भी व्यक्ति को साक्ष्यों एवं बयानों को न्यायालय के समक्ष ही प्रस्तुत करना चाहिए न कि किसी भी व्यक्ति पर अनावश्यक रुप से बाहर बयान बाजी करनी चाहिए जो कि सम्मानित न्यायालय की न्याय प्रक्रिया के विरुद्ध भी है।
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