मानसून सीजन के शुरुआती दौर में ही पिछले दिनों हुई भारी बारिश के चलते जहां कई जगह पर लोगो को नुकसान झेलना पड़ा वही प्राकृतिक दृष्टिकोण से यह बारिश जल स्रोतों और जंगलों के लिए संजीवनी बनकर आई वक्त से पहले ही इस तरह की बात होने से जिले मैं पंद्रह सौ पचास से अधिक जल स्रोत रिचार्ज हुए हैं जगह जगह पर पानी की धाराएं बहनि ही शुरू हो गई है
राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में पिछले दिनों हुयी बारिश से गदेरों, जंगलों और प्राकृतिक जलस्रोतों के लिए वरदान बनकर आई है। बारिश से जिले में 550 से अधिक गदेरे रिचार्ज हो गए हैं और गर्मियों में सूख चुके 1000 से ज्यादा छोटे-बड़े जलस्रोतों में पानी की धार पहले की अपेक्षा ज्यादा मात्रा में फूट पड़ी है। जानकारों का मानना है कि बारिश से भूगर्भीय जल की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है और यह भूगर्भीय जल गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र के जंगलों सहित आम लोगों के लाभदायक होगा।
एक ओर बारिश नदी किनारे के क्षेत्रों के लिए जहां आफत बनकर आई वहीं जंगलों, गदेरों और प्राकृतिक जलस्रोतों के लिए वरदान साबित हुई है। गर्मी के बढ़ने और जंगलों में आग लगने से पिछले कई सालों से सैकड़ों बरसाती गदेरे सूख चुके थे या उनमें पहले की अपेक्षा बरसात में पानी की मात्रा कम हो गई थी, लेकिन इस बार की बारिश से जंगलों और ऊंचाई वाले भागों के गदरों में पानी की धार पहले की अपेक्षा ज्यादा मात्रा में फूट पड़ी। पर्वतीय पारिस्थितिकी के जानकार व वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश गौरोला बताते हैं ।जिले में इन गदेरों से सैकड़ों गांवों में लोग रोपाई करते हैं। कई गांवों में पानी की कमी के कारण लोग खेतों में धान की रोपाई नहीं कर पा रहे थे। आदिबदरी के सामाजिक कार्यकर्ता बसंत प्रसाद ने बताया कि उनके क्षेत्र में घलेटी, चिमाड़ा, मंगरी और रंडोली गदेरों में इस बार पांच साल बाद बरसात में पानी आया, जबकि गैरोली के कल्याणा गदेरे में आठ साल बाद जलधारा फूटी।
चमोली जिले में बदरीनाथ, केदारनाथ व नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ वन प्रभाग के अंतर्गत 13 वन रेंज हैं। इन रेंजों में बांज बुरांश, तिलोंज, काफल, कचनार, फनियाट, भीमल व चीड़ के पेड़ हैं। बारिश से 550 गदेरों में इस बार चार से पांच साल बाद रिचार्ज हुआ है, जबकि 1000 से अधिक प्राकृतिक जलस्रातों में पानी बढ़ा है। यह बारिश खेती के लिए भी लाभदायक है।
प्रदीप गौड़, रेंजर गैरसैंण वन प्रभाग।
———-जलस्रोतों के रिचार्ज होने से भूगर्भिक जल की मात्रा में बढ़ोतरी होती है। इससे भूमि में नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जो जंगलों के लिए बहुत लाभदायक है। भूगर्भिक जल से पेयजल स्रोत रिचार्ज हो जाते हैं और कई नए जलस्रोत उभर जाते हैं। गर्मियों में ये जलस्रोत लोगों के साथ-साथ जंगली जानवरों और पेड़-पौधों के लिए जल प्रदान करते हैं।
प्रोफेसर मोहन पंवार, भूगोल विभाग एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि श्रीनगर।