चमोलीः पहाड में लोक संस्कृति और परिधान के एक कलाकार के रूप में देश प्रदेश में अपनी एक अलग छवि बनाने वाले कैलाश भटट की लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गयाहै।
पहाडी टोपी को नया और सुन्दर स्वरूप देने वाले परिधान शिल्पी कैलाश भट का यह सृजन लोगों को खूब भाया। संस्कृति कला समेज जीवन के हर मंच पर आम ओर खास के सिर पर पहाडी गोल टोपी भारत ही नहीं सात समुद्र पार भी अपनी पहचान बनाने में सफल हुई। ठेठ पहाडी और पुराने परिधानों मिर्जई के साथ कई परिधानों को एक सुन्दर और नया स्वरूप दिया। 2014 नन्दा देवी राज जात यात्रा हो या फिर गैरसेंण में हुए सत्र के दौरान कैलाश भटट द्वारा निर्मित पहाडी गोल टोपी और मिर्जई आकर्षण का केंद्र बनी। कैलाश भटट के निधन पर व्यापार संघ अध्यक्ष गोपेश्वर अंकोलीा पुरोहित, राजा तिवाडी, संयुक्त रामलीला मंच के आयुष चौहान, सुरेन्द्र रावत, जगदीश पोखरियाल आदि ने दुख जताया।
उनका कहना है कि कैलाश भटट कैवल परिधान शिल्पी नहीं बल्कि एक ऐसे सेवक थे जिन्होंने अपनी संस्कृति को बचाये रखने के लिए हर मंच पर अपना सहयोग दिया।
वहीं अक्षत नाट्य संस्था के विजय बशिष्ट का कहना है कि कैलाश भटट का असामयिक जाना लोक संस्कृति का बडी क्षति है।
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