डा. योगेश धस्माना की कलम से………
उत्तराखंड में पर्यटन और स्वरोजगार को लेकर जो दृष्टिकोण डेढ सौ वर्ष पूर्व ब्रिटिश प्रशासन लुशिगटन के (1850 से 1940 तक ) फिर 1902 में लार्ड कर्जन द्वारा ग्वालदम से लेकर पाणा ईरानी होते हुए तपोवन जोशीमठ के सुप्रसिद्ध कर्जन ट्रैक के निर्माण और देश की आबादी से पहले 1944 में गोचर मेले की नींव रखने वाले डिप्टी कमिश्नर आर.डी. बर्नीडी द्वारा लगभग इसी वर्ष जोशीमठ में कैंप करते हुए भारी बर्फबारी के बीच औली की ढलान पर स्किन का सपना देखा था। ठीक इसी तरह आजादी के बाद एक बार फिर जिलाधिकारी श्रीमती स्वाति हस भदोरिया ने गौणा ताल का भ्रमण कर इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का जो संकल्प व्यक्त किया है वह उत्तराखंड के लिए नजीर बन सकता है।
पर्यटन ट्रैकिंग हमारे युवाओं के लिए एक बड़ा एक्स्पोज़र हो सकता है होमस्टे योजना के साथ ही महत्वपूर्ण स्थानों पर लोक कला संग्रहालय की स्थापना तीर्थ एवं पर्यटकों के लिए लोक संगीत और सांस्कृतिक दलों द्वारा अतिथियों का स्वागत स्थानीय उत्पादों का वैल्यू एडिशन कर विपणन कर हमें आर्थिकी को नया स्वरूप प्रदान कर सकते हैं। प्रत्येक जनपद में जिला अधिकारी पुरा संपदा के संरक्षण अधिकारी भी होते हैं एआईएस द्वारा इन्हें प्रशासनिक शक्तियां भी दी गई है। इस आधार पर राज्य के समस्त जनपद मुख्यालय पर लोक कला संग्रहालय स्थापित किए जा सकते हैं। इसी दिशा में जिला अधिकारी स्वाति एस. भदोरिया द्वारा गोपेश्वर में पहल करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में इसका निर्माण स्वयं प्रारंभ किया। इसे जिला प्लान में भी रखा जा सकता है ऐसा करके पूरा संपदा का संरक्षण जनपद में ही उचित ढंग से हो सकेगा।
पर्यटन और आपदा प्रबंधन की दृष्टि से जिला प्लान में प्रतिवर्ष हेलीपैड का निर्माण हिमांचल राज्य की तर्ज पर किया जा सकता है। सीमावर्ती क्षेत्रों में संचार संसाधनों का विकास हम हैं इस दिशा में कर्मठ और लोकप्रिय जिलाधिकारी श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया के प्रयासों की प्रशंसा के साथ ही राजनीतिक नेतृत्व द्वारा ढांचागत सुविधाओं के विकास में निष्ठा से पहल हो सके तो राज्य निर्माण की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी।