ऋषि गंगा ग्लेशियर टूटने के बाद 7 फरवरी को एक सैलाब सैकड़ों जिंदगियों को अपने साथ बहा ले गया नीति घाटी के कई गांवों को संपर्क भी टूट गया लेकिन टनल के अंदर काम कर रही 35 जिंदगियों को लेकर राज्य से लेकर देश की सभी एजेंसियों ने पूरी ताकत लगा दी थी लेकिन पिछले 6 दिनों से लगातार चल रहे इस मशक्कत का परिणाम शुन्य साबित हुआ और शनिवार की रात से टनल में शव मिलने शुरू हो गए हैं जानकारी के अनुसार अब तक 2शव टनल के अंदर से निकाले जा चुके हैं और 4 शव दिख रहे हैं अब सवाल ये उठता है कि एक ओर जहां हम विश्व शक्तियों से टक्कर लेने के बात कर रहे हैं लेकिन तपोवन क्षेत्र में आई आपदा के बाद चैनल में फंसे लोगों को निकालने के लिए हमारे पास किसी भी तरह की तकनीक नहीं थी और जेसीबी द्वारा ही लगातार टनल के अंदर से मलबा निकाला जा रहा था अब जाकर कई दिनों बाद जानकारी मिली कि जिस चैनल में मलबा साफ किया जा रहा है उसके नीचे एक और टनल है तब जाकर इसमें ड्रिलिंग का का काम किया गया और आज हमारे सामने परिणाम यह है कि जिन जिन जिंदगियों की आस में उनके परिजन इतने दिनों से दूर-दूर से यहां पर पहुंच रहे थे उन की आस खत्म हो गई है एक और जहां शासन और प्रशासन द्वारा 7 फरवरी को जिस तेजी के साथ रेस्क्यू और बचाव कार्य शुरू किया गया उसकी चारों तरफ सराहना हुई लेकिन लेकिन उसके बाद टनल के अंदर बचाव एवम रेस्क्यू कार्य को लेकर कई सवाल जहां लोगों के जहन में है वही जिन लोगों के अपने इस तनल के अंदर जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे उनका भी हमारी उच्चस्तरीय तकनीकों से विश्वास उठ गया है
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