चमोली: युवा कवि स्वर्गीय तरुण जोशी स्मृति समारोह अक्षत नाट्य संस्था के प्रेक्षा गृह में दिनांक 28 अप्रैल 2024 को संपन्न हुआ…जिसमें अक्षत नाट्य संस्था के रंगकर्मियों द्वारा युवा कवी स्वर्गीय तरुण जोशी की कविताओं का भावपूर्ण वाचन किया गया….कवि तरुण जोशी जी ने बहुत छोटी उम्र से अपनी ओजस्वी एवं भावपूर्ण कविताओं के माध्यम से अपनी एक अलग पहचान बनाई जिससे कवी समाज में उन्हें एक विशिष्ट पहचान प्राप्त हुई है ..l उनकी कवितायें यथार्थ को स्पर्श कर गम्भीर चिन्तन प्रशस्त करने वाली है। वक्त के साथ-साथ रिश्ते नाते भी बदल जाते हैं। इन रिश्तों को कवि ने कुछ इस अंदाज में प्रस्तुत किया है-दुनिया बदली, इंसान बदले और बदल गई इंसान की सोचवक्त बदला, साल बदले और तुम भी बदल गई.नहीं बदला तो सिर्फ ये आसमां, ये धरती, ये तारे पर वो बादल की टुकड़ी भी बदल गई… मौसम में ही कविता परवान चढ़ती हैं। कवि ने अपनी कविता एक नया ठौर की अन्तिम पंक्तियों में लिखा है कि-ऐसा घरौंदा हो मेरा जहांस्वप्न देखूँ खुले आसमान तलेचादर अंधेरे की काली होऔर पंछी कलरव से नींद खुलेनैन खुले तो बस हरियाली होकवि ने समाज में फैली बुराइयों पर भी कड़ा प्रहार किया है, वह चाहे महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध हों, भ्रष्टाचार हो, सांप्रदायिकता का जहर हो, परम्परागत रूढ़ियों में जकड़ी जिंदगियां हो या फिर दरकती मानवीय संवेदनाएं हो। सभी पर कवि ने चिंतन किया है। इतना ही नहीं, कवि ने निराश के इस घने अंधकार में भी आस का एक दीया जलाकर रखा है। कवि का कहना है-जला सको यदि अपने अंदर के हैवान कोआदम रूप में शैतान कोकुछ सुकून शायद पा जाऊँगीएक मौका देता है गर खुदाते फिर बेटी बन वापस न आऊँगीबहरहाल, भावनाओं के अलावा काव्य सृजन के मामले में भी कविताएं उत्कृष्ट हैं। कवि को अच्छे से मालूम था कि उसे अपनी भावनाओं को किन शब्दों में और किन बिम्बों के माध्यम से प्रकट करना है और यही बिम्ब विधान पाठक को स्थायित्व प्रदान करते हैं।ढूंढने निकले थे हम।खबर ये आयी कि दरिया खुद आया था चल के ढूंढनें हमें।रगकएवं कवियत्री सपना थपलियाल द्वारा भाव प्रभाव के साथ तरुण की कविताओं की उत्कृष्ट समीक्षात्मक सञ्चालन किया गया और रंगकर्मियों एवं कवियों के द्वारा तरुण की कविताओं का भावपूर्ण वाचन कर श्रदांजलि अर्पित की गयी..अवसर पर कवियत्री श्रीमती दीपलता झिंक्वाण,सपना थपलियाल एवं बाल कवयित्री नितिका चमोला को कवी तरुण स्मृति सम्मान से विभूषित किया गया …इस अवसर पर तरुण जोशी के माता पिता एवं अनुज की उपस्थिति एवं सम्बोधन से कार्यक्रम अत्यंत भावुक हो गया माता आशा जोशी व पिता गणेश दत्त जोशी ने बड़े भावुक मन से बताया कि तरुण को हम उसकी कविता के माध्यम से जिन्दा रखते हुए अपने बहुत करीब पाते हैं …उनके भाई ईशान जोशी बताते हैं कि उनके भाई भले ही शारीरिक रूप से उनके साथ नहीं हैं, लेकिन उनकी यादों में वे अभी भी जिंदा हैं और हमेशा रहेंगे…
Sign in
Welcome! Log into your account
Forgot your password? Get help
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.