नवरात्रि में लकडी व मिट्टी पर दिनेश ने तैयार किया नंदा देवी राजजात यात्रा का माॅडल
माॅडल की लंबाई 10 .30 इंच, चौड़ाई 8.30 इंच और ऊंचाई 5.30 इंच है।
माउॅडल में सभी कलाकृति एक इंच की हैं।
गोपेश्वर!
हुनर है तो बेजुबान पत्थर भी बोल उठते हैं। बेकार पडी लकड़ी में जान आ जाती है। ऐसे ही हुनरमंद हस्तशिल्पि हैं टिहरी जिले के दिनेश लाल। ये विगत 8 सालों से लकडी पर विभिन्न प्रकार के मंदिरों के डिजाइन, पहाड़ के लोक वाद्य यंत्र, पहाडी घर सहित अन्य कलाकृति बना रहें हैं।
नवरात्रि के दौरान दिनेश नें बेजान लकड़ी पर वेदनी बुग्याल में मां नंदा देवी राजजात यात्रा का माॅडल तैयार किया है। या यों कहिए की लकडी व मिट्टी में पहाड की लोकसंस्कृति जींवत हो गई है। जो भी इस कलाकृति को देख रहा है वो अचंभित हो रहा है। बकौल दिनेश मां नंदा राजजात यात्रा के माॅडल बनाने में उन्हें 9 दिन लगे। मेरे लिए इससे खुशी की बात क्या हो सकती है कि नवरात्रि के इन 9 दिनों में मुझे मां नंदा राजराजेश्वरी की राजजात यात्रा के माॅडल बनाने का सौभाग्य मिला। मैं कभी भी राजजात यात्रा में सम्मिलित नहीं हुआ हूं और न ही कभी वेदनी बुग्याल जा पाया। जो कुछ भी बनाया है वो मां भगवती की कृपा ही रही है। मैंने इसमें 95% लकडी का प्रयोग किया गया है। बुग्याल की घास के लिए मिट्टी का प्रयोग किया है। नंदा देवी राजजात यात्रा के माॅडल मे देव डोली, मेंढा, छंतोली और श्रद्धालु सहित सभी कलाकृतियां हल्दू की लकडी की है। सभी कलाकृति एक इंच की हैं।
सूखी और बेजान लकड़ी में फूंकते है जान!
जाखणीधार के झेलम निवासी दिनेश की हस्तशिल्प कला इतनी बेहतरीन है कि वो सूखी और बेजान लकड़ी में भी इतनी शानदार नक्काशी करते है कि कलाकृति बोल उठती है और जींवत हो उठती है।
पहाड़ी घर, केदारनाथ मंदिर, और ढोल दमाऊं की कलाकृति के भी हुये लोग मुरीद–!
यों तो दिनेश नें अपनी हस्तशिल्प कला के जरिए दो दर्जन से ज्यादा कलाकृतियों को आकार दिया है। हुक्का, बैल, हल, परेडा/परय्या, लालटेन, चिमनी, कृष्ण भगवान का रथ, तलवार, धनुष, गधा, तीर, ओखली, गंज्यालु, टिहरी का घंटा घर, केदारनाथ मंदिर के डिजायन, अयोध्या मंदिर का डिजाइन सहित दर्जनों कलाकृति सम्मिलित है। जिसमें से पहाड़ी घर, केदारनाथ मंदिर, और ढोल दमाऊं की कलाकृति लोगों को सबसे ज्यादा पसंद आई है। लोग इन माॅडलो के मुरीद हुये। कई लोगों नें इन माॅडलो को खरीदा भी।
एक ओर जहां आज हमारी वैभवशाली अतीत का हिस्सा रही बेजोड़ हस्तशिल्प कला आज दम तोडती नजर आ रही है। वहीं दिनेश लाल जैसे बेजोड हस्तशिल्पि इस कला को नयी ऊंचाई तक पहुंचा रहें हैं।