Home उत्तराखंड गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति का हो संरक्षण: प्रो. एमपी नगवाल

गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति का हो संरक्षण: प्रो. एमपी नगवाल

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राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में शुक्रवार को गढ़वाली मातृभाषा दिवस बड़ी धूम धाम से मनाया गया।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एमपी नगवाल ने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में भले ही हिंदी एवं अंग्रेजी भाषाओं का वर्चस्व बढ़ रहा है लेकिन स्थानीय बोली भाषा भी संरक्षित रहनी चाहिए।

कार्यक्रम संयोजक अंग्रेजी विभाग के सहायक प्रोफेसर दर्शन सिंह नेगी ने कहा कि 21 फरवरी को यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया गया है। इसी क्रम में हर वर्ष अंग्रेजी विभाग द्वारा गढ़वाली मातृभाषा दिवस का आयोजन किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि अंतराष्ट्रीय भाषा के साथ साथ राष्ट्रीय एवं आंचलिक भाषाओं को भी रोजगार, विज्ञान एवं तकनीकी के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए।
मातृभाषा समारोह में बालकवि कार्तिक तिवाड़ी पहाड़ी ने अपनी गढ़वाली कविता के माध्यम से दर्शकों को भाव विभोर किया।

कार्यक्रम के दौरान गढ़वाली भाषा में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। भाषण में नीतू सती ने प्रथम, श्रेय रावत ने द्वितीय, दिया कंडारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। काव्यपाठ में अंजलि ने प्रथम, मुस्कान ने द्वितीय, कनिष्का ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। गढ़वाली भेषभूषा में नीतू ने प्रथम, प्रियंका नौटियाल ने द्वितीय, डॉली ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। लोकोक्ति एवं औखाण में किशन सिंह ने प्रथम, पवन कुमार ने द्वितीय, आदित्य नेगी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। लोकगीत में अमन कुमार ने प्रथम, पायल ने द्वितीय, प्रियंका नौटियाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

इस अवसर पर डॉ बीपी देवली, रेड क्रॉस सोसाइटी के जिला सचिव सुरेंद्र रावत, मनोज रावत, पीटीए अध्यक्ष मोहन नेगी, उपाध्यक्ष लोकेंद्र रावत, डॉ पीएल शाह, डॉ भावना मेहरा, डॉ दिगपाल कंडारी, डॉ संध्या रावत, डॉ विनीता नेगी, डॉ दिनेश पंवार आदि उपस्थित रहे।