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सीएम की घोषणा और प्रशासन का आश्वासन भी नहीं आ रहा सेरा-तेवाखर्क के ग्रामीणों के काम

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मरीजों को कंधों में ढोकर ग्रामीण पहुंचा रहे चिकित्सालय
गोपेश्वर। सरकार, शासन और प्रशासन के टैंडर प्रक्रिया, स्वीकृति, वन भूमि हस्तांतरण के दावे आये दिन सोशल मीडिया में छाये रहते हैं। लेकिन सड़क की स्वीकृति, वन भूमि हस्तांतरण के बाद सड़क निर्माण को लेकर सिस्टम की कार्य प्रणाली को चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक का सेरा तेवाखर्क बयां कर रहा है।
इस गांव के ग्रामीणों के काम न तो वर्ष 2012 में की सीएम की घोषणा आई न ही मार्च माह में किया प्रशासन का आश्वासन! ऐसे में एक बार फिर बृहस्पतिवार को सेरा तेवाखर्क निवासी बचन सिंह की 46 वर्षीय पत्नी काशी देवी के बृहस्पतिवार को बीमार होने पर हर बार की तरह इस बार भी गांव के युवाओं और ग्रामीणों ने काशी देवी को 18 किमी कंधों में पालकी के सहारे ढोकर गैरसैंण स्थिति चिकित्सालय पहुंचाया। इससे पूर्व 5 जुलाई को भी पंजाब से उपचार कर गांव लौटे ग्रामीण भगवत सिंह को भी ग्रामीणों ने कंधों में ढोकर ही गांव पहुंचाया था। आये दिन सामने आ रही पहाड़ी गांवों की ये घटनाएं जहां सरकारी सिस्टम की कार्य प्रणाली को स्पष्ट कर रही हैं। वहीं ग्रामीणों के स्वास्थ्य और पलायान को लेकर किये जा रहे चिंतन पर भी सवाल खड़े कर रही हैं।

सेरा-तेवाखर्क सड़क का ये है पूरा मामला
गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी परिक्षेत्र में स्थित तेवखर्क के ग्रामीण दशकों से 7 किमी सेरा-तेवाखर्क सड़क निर्माण की मांग कर रह हैं। जिस पर वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सड़क निर्माण की घोषण की। लेकिन वर्षों तक सड़क निर्माण कार्य शुरु न होने पर 26 जनवरी 2021 ग्रामीणों ने जहां श्रमदान से सड़क निर्माण कार्य शुरु किया। वहीं बुजुर्ग ग्रामीणों ने गांव में अनशन शुरु किया। 46 दिनों तक जिला प्रशासन की ओर से कोई सुध न लिये जाने के बाद 12 मार्च को उपजिलाधिकारी कौस्तुब मिश्रा सहित तहसील के अधिकारियों ने ग्रामीणों को एक माह के भीतर सड़क निर्माण कार्य शुरु करवाने का आश्वासन देकर आंदोलन स्थगित करवाया। लेकिन 12 मार्च के बाद तहसील और जिला प्रशासन की ओर से सड़क निर्माण को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।