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मुख्य मंत्री एवम उड्डयन सचिव के खिलाप गैर इरादतन हत्या मामले में शिकायत

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देहरादून: उत्तराखण्ड स्वाभिमान मोर्चा ने पुलिस मुख्यालय में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर से मुलाकात की और मुख्यमंत्री, उड्डयन सचिव और यूकाडा के सीईओ के खिलाफ़ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
ज्ञापन में बताया कि 15 जून 2025 को केदारनाथ-गुप्तकाशी मार्ग पर हुई दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना की ओर आकर्षित करना चाहते हैं, जिसमें आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से पायलट सहित सात लोगों की मृत्यु हो गई। यह घटना गौरीकुंड के निकट गौरी माई खर्क (जंगल) में सुबह लगभग 5:30 बजे हुई। यह दुर्घटना पिछले डेढ़ महीने में उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर से संबंधित पांचवीं घटना है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

चारधाम यात्रा पर हेली कॉप्टर की लगातार दुर्घटनाएँ:
08 मई 2025: गंगोत्री जा रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, छह मृत।

12 मई 2025: बद्रीनाथ में हेलीकॉप्टर ब्लेड वाहन से टकराया।

17 मई 2025: एम्स का हेली-एम्बुलेंस केदारनाथ में दुर्घटनाग्रस्त।

08 जून 2025: बड़ासू हेलीपैड से उड़ा हेलीकॉप्टर सड़क पर गिरा, कार क्षतिग्रस्त।

15 जून 2025: गौरीकुंड में आर्यन एविएशन का हेलीकॉप्टर क्रैश, सात मृत।

नियमों की अनदेखी:
आर्यन एविएशन को 15 जून 2025 के लिए सुबह 6:00 से 7:00 बजे तक उड़ान स्लॉट आवंटित था, लेकिन हेलीकॉप्टर ने सुबह 5:30 बजे उड़ान भरी। यह उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का उल्लंघन है।खराब मौसम और कम दृश्यता को दुर्घटना का प्रमुख कारण बताया गया है, जिसके बावजूद उड़ान की अनुमति दी गई।चारधाम यात्रा में इस वर्ष 8,000 से अधिक उड़ानें हो चुकी हैं, लेकिन एक भी डबल इंजन हेलीकॉप्टर का उपयोग नहीं किया गया, जो हिमालयी क्षेत्र की ऊँचाई और जटिल भू-आकृति के लिए उपयुक्त होता।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, जो नागरिक उड्डयन मंत्री भी हैं, ने हाल ही में हेली-सेवा प्रदाताओं को सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करने की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद, मात्र तीन दिन बाद यह दुर्घटना हुई, जो दर्शाता है कि हेली-कंपनियों पर इन निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

हेली-कंपनियाँ मुनाफे के लिए नियमों की अनदेखी कर रही हैं, जैसे कि अधिक यात्रियों को ले जाना, तकनीकी जाँच में ढिलाई, और मौसम पूर्वानुमान की उपेक्षा। UCADA और DGCA की निगरानी में कमी के कारण ये लापरवाहियाँ बार-बार सामने आ रही हैं।

उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि इस दुर्घटना में गंभीर लापरवाही बरती गई, जिसके परिणामस्वरूप सात लोगों की जान गई। हम निम्नलिखित व्यक्तियों/अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304A (गैर-इरादतन हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज करने का अनुरोध करते हैं।

1: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में, जिनके मंत्रालय ने हेली-सेवाओं की निगरानी में विफलता दिखाई।

2: नागरिक उड्डयन सचिव, उत्तराखंड सरकार, जिन्होंने SOP के पालन को सुनिश्चित करने में लापरवाही बरती।

3: UCADA के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), जो हेली-सेवाओं के संचालन और सुरक्षा मानकों के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं।

तत्काल प्रभाव से हिमालयी क्षेत्र में सिंगल इंजन हेलीकॉप्टरों की उड़ानों पर रोक लगाई जाए। सभी हेली-कंपनियों की उच्च स्तरीय जाँच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए। UCADA और DGCA की भूमिका की जाँच हो, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा और सहायता प्रदान की जाए।

यह दुर्घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है, बल्कि हेली-कंपनियों की मुनाफाखोरी और सुरक्षा मानकों की अवहेलना का भी प्रमाण है। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि निर्दोष लोगों के जीवन की रक्षा हो सके और उत्तराखंड में हेली-सेवाओं का संचालन सुरक्षित हो