चमोली: भारत तिब्बत सीमा से लगे वशिष्ठ ताल (देवताल) (परिताल) में पूजा अर्चना की परंपरा अनुसार पूजा अर्चना की गई है, नन्दा सप्तमी अष्टमी के पर्व पर स्थानीय लोगो ने वशिष्टताल में पूजा अर्चना की। सामरिक दृष्टिकोण से सवेदनशील होने के चलते 45 लोगों का दल यहां पहुचा ओर पूजा अर्चना कर एक सुनहरे भविष्य की उम्मीद की। देश की समृद्धि की मन्नत मांगी।
भारत तिब्बत की सीमा पर स्थित माणा पास में 12 हजार फीट की उंचाई में स्थितत देवताल /वशिष्ठ ताल में माणा गांव के 45 लोगों ने पहुंचकर पूजा अर्चना की, बता दें कि देवताल के प्रति माणा समेत पूरे विकासखंड जोशीमठ की असीम श्रद्धा है। इस ताल को देवताओं के ताल के रूप में भी जाना जाता है इस ताल का पुराना नाम बशिष्ठ ताल भी है।
मान्याता है कि द्वापर युग में कैलाश मानसरोवर का भ्रमण करने के बाद भगवान श्री कृष्ण देवताल पहुंचे व उन्होंने यहां पर कठोर तप किया तप साधना पूरी होने के बाद श्री कृष्ण यहां से बदरीकाश्रम बदरीनाथ पहंुचे जहां पर उन्होंने भगवान इन्द्र, घंटाकर्ण के साथ साथ नारायण से मुलाकात की।
भारत के अंतिम गांव माणा के 45 ग्रामीण सोमवार को देवताल पूजा एवं भ्रमण के लिए पहुंचे जहां पर उन्होंने परंमपरानुसार देवताओं की पूजा की, देवताल तक पहुंचने के लिए भारतीय सेना के लोगों ने भी ग्रामीणों की मदद की।
बदरीनाथ के धर्माधिकारी पंडित भुवन उनियाल कहते हैं कि देवताल पृथ्वी में स्थित एक अनोखा एवं आलौकिक ताल है जहां पर सच्चे मन से पूजा करने पर मन की सभी मुरादें पूरी होती हैं। कहते हैं कि पूर्व में भारती तिब्बत के बीच व्यापारिक एवं मधुर संबन्ध थे व दस्तूर की परंपरायें थी तभी से माणा के लोग देवताल के भ्रमण मे जाते हैं, कहते हैं कि तिब्बत के दस्तूर की परंपरायें आज भी मंदिर के दस्तावेजों में दर्ज है। कहते हैं कि उस समय तिब्बत से भगवान बदरीनाथ के चढावे के लिए चंदन, केसर, काजू, बादमा आया करता था।
पूर्व मंत्री मोहन सिंह गांव वासी का भी इस जगह से काफी आत्मीयता रही है और वक्त वक्त पर यहां पहुचकर पूजा अर्चना करते रहे हैं।
जानकारी के अनुसार 1962 से पूर्व भारत तिब्बत व्यापार के द्वार
वशिष्ठ ताल में पूजा अर्चना के बाद खोले जाते थे,
बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट ने कहा कि भारत तिब्बत सीमा से लगे छेत्रो के लिए सीमा यात्रा दर्शन के लिए प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि वशिष्ट ताल में पूजा अर्चना के बाद यह धार्मिक यात्रा शुरू हो गयी है, ओर यह धामिर्क यात्रा प्रारम्भ हो गयी है। विधायक ने कहा की टिमरसैण महादेव यात्रा के बाद ये सीमा दर्शन का दूसरा प्रयास रहेगा।