नैनीताल:बुधवार को न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की गई। याची रजनी भंडारी की ओर से पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत और हाई कोर्ट के अधिवक्ता विकास बहुगुणा ने दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक आरोपों की जांच जिलाधिकारी चमोली को स्वयं करनी चाहिए थी। उन्होंने जांच मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को सौंप दी। सीडीओ ने भी प्रकरण में कमेटी गठित कर दी। नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता, लिहाजा शासन के आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद रजनी भंडारी को हटाने के शासन के आदेश को स्थगित कर दिया। प्रकरण में सरकार से जवाब मांगा गया है। इस इस मामले में 27 फरवरी की तारीख तय की गई है। कोर्ट से मिली अंतरिम राहत पर रजनी भंडारी ने खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने उनके विरुद्ध द्वेषपूर्ण कार्रवाई की है। उन्होंने किसी तरह की वित्तीय अनियमितता नहीं की है।
*यह है रजनी भंडारी का प्रकरण*
पूर्व ब्लॉक प्रमुख नंदन सिंह बिष्ट की शिकायत पर हुई जांच की सिफारिश के बाद पंचायती राज विभाग की ओर से 25 जनवरी को एक आदेश जारी करके रजनी भंडारी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। इसी क्रम में अब दोबारा कार्रवाई की गई। उन पर वर्ष 2012-13 में नंदा राजजात यात्रा मार्ग पर विकास कार्यों संबंधी निविदाओं में गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने इस दौरान अपने दायित्व का उचित निर्वहन नहीं किया है।