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आपात काल के सूर्योदय के साथ आमरण अनशन की अकाल मृत्यु

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26 जून 1975 को देश में अचानक आपातकाल घोषित हुआ तब हम कर्णप्रयाग के नवयुवक महाविद्यालय की मांग को लेकर महाविद्यालय निर्माण छात्र संघ संघर्ष समिति के बैनर तले 1 वर्ष से धरना प्रदर्शन आदि आंदोलनकारी गतिविधियों के साथ आंदोलनरत थे हमारा पूर्व निर्धारित आमरण अनशन 26 जून 1975को जिलाधिकारी चमोली के कार्यालय गोपेश्वर में महाविद्यालय की मांग को लेकर आमरण अनशन करने का कार्यक्रम था

कार्यक्रम के अनुसार प्रातः आंदोलनकारी एक जीप में करणप्रयाग से गोपेश्वर पहुंचे इसमें माइक व बैनर लगा रहे थे तभी कुछ लोगों ने बताया कि देश में आपातकाल घोषित हो गया है तथा विपक्षी नेताओं को जेल में बंद करने के समाचार रेडियो पर सुबह से ही आ रहे हैं हमने इस और कोई ध्यान नहीं दिया और अपने तय कार्यक्रम के अनुसार जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे देश में आपातकाल के सूर्योदय के साथ ही हम आंदोलनकारी जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में अपने मांग के समर्थन में गगनभेदी नारे लगाते हुए पहुंचे

और संघर्ष समिति के अध्यक्ष हरीश पुजारी एडवोकेट के नेतृत्व में हम आंदोलनकारी महेंद्र नैनवाल चंद्रशेखर सती ,जगदीश नैनवाल प्रकाश नौटियाल और( भुवन नौटियाल)में विधिवत आमरण अनशन पर बैठ गए संभवतया देश में आपातकाल के शुरूवात के साथ यह पहली घटना हुई जब लोकतांत्रिक ढंग से कहीं पर आंदोलन चला है सूर्योदय से पहले ही रात के अंधेरे में अधिकांश विपक्षी नेता जेल में बंद कर दिए थे और अनेक भूमिगत हो गए थे हम आमरण अनशन कार्य बैठे थे कि तभी जिलाधिकारी चमोली श्री एस के रस्तोगी और जिला परिषद चमोली के अध्यक्ष स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पुरुषोत्तम बगवाड़ी आमरण अनशन स्थल पर आए

उन्होंने हमें समझाया कि देश में आपातकाल घोषित हो गया है सभी प्रकार के आंदोलन प्रतिबंध हो गए हैं ऐसे में यह आमरण अनशन भी गैरकानूनी हो गया है आप लोग यह कार्यक्रम समाप्त कर दें अन्यथा हमें कार्यवाही करनी होगी जिला प्रशासन और अपने संरक्षक की सलाह पर हमने बातचीत के लिए समय मांगा आमरण अनशन कारियों ने परिस्थिति के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए निर्णय लिया कि संघर्ष समिति महाविद्यालय का मांग पत्र राज्य सरकार को जिलाधिकारी के माध्यम से देखकर सभी आंदोलनकारी गतिविधियों को स्थगित करेगी इसी बीच दूरभाष से कर्णप्रयाग के विधायक डॉक्टर शिवानंद नौटियाल जी से संपर्क हुआ तो उन्होंने भी आंदोलन स्थगित करने तथा महाविद्यालय स्थापना की जिम्मेदारी स्वयं लेते हुए स्थिति सामान्य होते ही महाविद्यालय स्थापना का आश्वासन दिया इस तरह ज्ञापन देकर हमने आमरण अनशन समाप्त किया

आपातकाल के बाद जब डॉक्टर शिवानंद नौटियाल उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री बने तो सन 1979 में महाविद्यालय की स्थापना हुई जो आज स्नातकोत्तर महाविद्यालय डॉक्टर शिवानंद नौटियाल जी के नाम पर संचालित है हमारे दो आमरण अनशन कारी महेंद्र एवं चंद्रशेखर सती आज दिवंगत हो गए हैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि इस प्रकार आपात काल के सूर्योदय के साथ आमरण अनशन की अकाल मृत्यु हुई लेकिन 5 वर्ष बाद हमें महाविद्यालय करणप्रयाग मिला जो हमारे संघर्ष का परिणाम था

भुवन नौटियाल की कलम से।

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