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केदारनाथ हेली सेवा का फ्रॉड फ्लाइंग

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केदारनाथधाम में हेलीकॉप्टर हादसा : IMPORTANT POINTS

केदारनाथ धाम में हुए हेलीकॉप्टर हादसे से पूरा देश स्तब्ध है। इस दुर्घटना में पायलट समेत 6 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरा दुख प्रकट करते हुए इस हादसे की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। उम्मीद है मजिस्ट्रियल में दुर्घटना की असली वजह साफ हो जाएगी लेकिन घटना से जुड़े कुछ ऐसे अहम बिन्दु हैं जिन्हें जांच में शामिल किया जाना चाहिए –

– क्रैश हुआ आर्यन एविएशन का Bell 407 हेलीकॉप्टर ‘फ्रॉड फ्लाइंग’ कर रहा था या यह इसकी नियमानुसार उड़ान थी।

– फ्रॉड फ्लाइंग वो उड़ान है जो डीजीसीए के नियमों को हासिये पर रखकर की जाती है, जिसके जरिए एविएशन कम्पनियां सरकार को चूना लगाकर मोटा मुनाफा कमा लेती हैं। यह बात दीगर है कि ऐसी उड़ान में पायलट समेत यात्रियों की जान को ताक पर रख दिया जाता है।

– फ्रॉड फ्लाइंग की बात यहां इसलिए कर रहा हूं क्योंकि केदारनाथ में शटल हवाई सर्विस प्रोवाइड कर रही अधिकांश कम्पनियां बीते जून माह में हेलीकॉप्टर की फ्रॉड फ्लाइंग करती हुई पकड़ी जा चुकी हैं। उस वक्त पकड़ी गई प्रत्येक कम्पनी से डीजीसीए लाखों रूपया जुर्माना वसूल चुका है।

– एविएशन कम्पनियों की इन अवैध उड़ानों के पकड़े जाने का घटनाक्रम बड़ा दिलचस्प है। हुआ यह कि कम्पनियों के हेलीकॉप्टर ने (उदाहरण के तौर पर) एक दिन में केदारनाथ से गुप्तकाशी के बीच 40 उड़ाने कीं और कागज में सिर्फ 16 उड़ाने ही दर्शायीं। यानि बाकी की 26 उड़ाने फ्रॉड फ्लाइंग की श्रेणी में आ गईं जिनका लेख जोखा सरकार के पास नहीं है। इनसे जो पैसा आया वो कम्पनी ने हड़प लिया।

– केदारनाथ धाम में हेलीपैड के पास जीएमवीएन का एक गेस्टहाउस है, जिस पर लगे कैमरों में से एक की दिशा हेलीपैड की तरफ है। डीजीसीए की छापामार टीम ने जब इस कैमरे की फुटेज दिखी तो प्रत्येक कम्पनी के हेलीकॉप्टर की रोजाना हुई उड़ानों का मिलान किया गया। मिलान के दौरान फुटेज और कम्पनी के दस्तावेजों में पाई गई उड़ानों की संख्या में काफी अंतर पाया गया।

– इसके बाद डीजीसीए की टीम ने ईंधन कम्पनियों के स्थानीय स्टोर से खपत हुए हेली फ्यूल का कुल उड़ान से तुलना की तो इसमें भी भारी फर्क देखने को मिला। यानि फ्यूल की खपत दस्तावेजों में दर्शायी गई उड़ानों से काफी ज्यादा मिली।

– रही सही पुष्टि जीएमवीएन से बिक्री हुए टिकटों ने कर दी। हेलीकॉप्टर्स की उड़ान और बिक्री हुए टिकटों की संख्या में जमीन और आसमान का अंतर पाया गया।

– दरअसल, एविएशन कम्पनियों के हेलीकॉप्टर्स की उड़ानों पर नजर रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की संस्था उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) की है। नियम के अनुसार एविएशन कम्पनी के हर हेलीपैड पर यूकाडा का एक कार्मिक तैनात होना चाहिए जो हेलीकॉप्टर की उड़ानों पर नजर रखे। नियम तो इतना सख्त है कि इस कार्मिक को हेलीकॉप्टर के प्रत्येक ‘टेक ऑफ’ और ‘लैंडिंग’ का वीडियो कवरेज करना चाहिए। लेकिन यूकाडा के कार्मिक एविएशन कम्पनियों से मिलीभगत कर ‘खेल’ कर जाते हैं।

– सच्चाई यह है कि अधिकतर एविएशन कम्पनियां फ्लाइंग मैनुअल का पूर्ण रूप से पालन नहीं करतीं और श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डाल देती हैं।

– केदारनाथ धाम में दिनभर में मौसम कुछ ही घण्टे साफ रहता है। उड़ान के लिए मौसम अनुकूल रहने पर पायलट ‘रनिंग रूटर’ के तहत फ्लाईंग करते हैं। यानि एक उड़ान पूरी होने पर हेलीकॉप्टर के रूटर बंद नहीं किए जाते घूमते हुए पंखों में ही यात्रियों को हेली से उतारा और उसमें बैठाया जाता है। ऐसी स्थिति में मौसम आदि परिस्थितियों के बारे में सोचने के लिए पायलट के पास क्षणिक वक्त रहता है और वह “I AM COMMING BACK” का संदेश वायरल कर नई उड़ान भर लेता है।

– हाई एल्टीट्यूड का क्षेत्र होने के कारण अनुकूल मौसम भी प्रतिकूल होने में वक्त नहीं लगाता और उड़ान में अप्रत्याशित जोखिम सामने आ जाते हैं।

– ऐसा नहीं कि डीजीसीए की एविएशन कम्पनियों पर की गई कार्रवाई का असर नहीं हुआ। बरसात के बाद जब केदारनाथ के लिए शटल हवाई सेवा शुरू हुईं तो ज्यादातर उड़ानें डीजीसीए के नियमों के मुताबिक हुईं। लेकिन कई बार मौसम प्रतिकूल रहने के कारण पर्याप्त उड़ानें नहीं भरी जा सकीं जिससे टिकटों की डिमांड ज्यादा बढ़ गई और टिकट ब्लैक में बिकने लगे। चर्चा यह है कि अक्टूबर में 5000 तक के टिकट 15 हजार में भी बेचे जा रहे थे।

– कुल मिलाकर इस गड़बड़झाले में सिर्फ हवाई कम्पनियों का ही दोष नहीं है। सरकार की नीतियों में भी खामियां हैं। सरकार को चाहिए कि हर पहलू (श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा, कम्पनियों के हित और सरकारी राजस्व) को ध्यान में रखते हुए व्यावहारिक नियम बनाए जाएं ताकि किसी को नियमों की अवहेलना करने की जरूरत न पड़े।

– प्रत्येक हवाई उड़ान पर नजर रखने के लिए फुल प्रूफ व्यवस्था होनी चाहिए। फ्लाइंग मैनुअल का सख्ती से पालन होना चाहिए ताकि कम्पनियां यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ न कर सकें।

– रही बात दिवंगत पायलट अनिल कुमार (57 वर्ष) की, वह केदारघाटी में उड़ान भर रहे सभी पायलटों में से सर्वाधिक अनुभवी थे। वो गुप्तकाशी और केदारनाथ के बीच फ्लाइंग रूट के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। जानकार कहते हैं कि फ्लाइंग शौक है, एक नशा है। उड़ान मन से होती है। सवाल यह भी है कि क्या यह अनुभवी पायलट मन से उड़ान भर रहा था ? वर्क लोड भी तो कोई चीज हुआ करती है।