पिपलकोटी। पीएम श्री अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज गडोरा में सी. पी. भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र, गोपेश्वर द्वारा एक विशेष व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 1950–60 के दशक में उत्तराखंड में भूदान आंदोलन के अग्रणी, नशाबंदी और छुआछूत के विरुद्ध जनजागरण फैलाने वाले गांधीवादी सर्वोदयी नेता चिरंजी लाल की स्मृति में हमारे धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. शिवचंद सिंह रावत ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जिन पर्यावरणीय संकटों से हम जूझ रहे हैं, उनका पूर्वाभास हमारे वैदिक ऋषियों को पहले ही हो चुका था। उन्होंने पर्यावरण को संरक्षित रखने की परंपरा को इतना महत्व दिया कि प्रकृति के प्रत्येक घटक—पेड़-पौधों, वन्य जीवों, जलस्रोतों और पर्वतों तक—को पूजनीय मानकर धर्म से जोड़ा गया।
डॉ. रावत ने कहा कि उत्तराखंड में प्रकृति के सम्मान की परंपरा इतनी गहरी है कि यहाँ हरियाली देवी और वन देवियों की पूजा तक की जाती है, जो प्रकृति की प्रतिमाएं हैं।
सी. पी. भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने चिपको आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को वनाग्नि से होने वाले दुष्परिणामों से भी अवगत कराया और जंगलों की रक्षा करने की अपील की।
विद्यालय के प्रधानाचार्य बलवंत सिंह चौहान ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि पर्यावरण संरक्षण की चेतना का सूत्रपात इसी देवभूमि से हुआ था। उन्होंने छात्रों से प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनने और वक्ताओं की बातों को व्यवहार में लाने का आग्रह किया।
केंद्र के समन्वयक विनय सेमवाल ने चिरंजी लाल जी के जीवन, संघर्ष और उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्हें प्रेरणास्रोत बताया।
कार्यक्रम को समाजसेवी एवं नगर पालिका परिषद के पूर्व ई.ओ. शांति प्रसाद भट्ट, तथा भारत महोत्सव के समन्वयक भगवती प्रसाद कोठियाल ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में मंगला कोठियाल विद्यालय के शिक्षक भुवन तिवाड़ी, गणेश जोशी, नवीन राणा, धनी लाल आगरी, जयेंद्र रावत, दीपा चमोली आदि उपस्थित थे।