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गैरसैंण-/ मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के बैनर तले आज ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मूल निवास, भू-कानून व स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर हजारों की संख्या में मौजूद महिला मंगलदलों, पुरुषों, स्थानीय निवासियों, व्यापारियों,राजनेतिक दलों व उत्तराखंड राज्य के विभिन्न जिलों से आये लोगों ने महारैली में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में गैरसैंण पहुंचे आंदोलकारियों ने रामलीला मैदान गैरसैंण से डाकबंगला रोड होते हुए मूल निवास,भू कानून व गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाये जाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन व नारेबाजी की। गैरसैंण के रामलीला मैदान में आयोजित महारैली से पूर्व उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा गोलीकांड में शहीद हुए शहीद राज्य आंदोलनकारियों को संघर्ष समिति ने श्रद्धांजलि दी व नम आंखों से शहीदों को याद किया। इस अवसर पर महारैली कार्यक्रम की शुरुवात करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारीयों ने जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा, कांग्रेस व यूकेडी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने भाजपा,कांग्रेस व यूकेडी को उत्तराखंड के साथ छलावा करने वाली पार्टी बताया। गहमागहमी⤵️ जनसभा के बीच उत्तराखंड क्रांति दल के दर्जन भर कार्यकर्ता अपने झंडों के साथ जनसभा स्थल पर पहुंच गए। जिसका मौजूद जनता व संघर्ष समिति ने जमकर विरोध किया। कहा कि पूर्व में ही यह तय किया गया था कि यह आंदोलन पूर्ण रूप से गैर राजनीतिक आंदोलन है. इसमे किसी भी पार्टी का झंडा नही लाया जायेगा। इस बीच अपने झंडों के साथ पहुंचे यूकेडी के दर्जन भर कार्यकर्ताओ को विरोध का सामना करना पड़ा व जनता ने उन्हें खूब-खरी खोटी सुनाई व उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं को जनसभा स्थल से बाहर खदेड़ दिया। इस दौरान हाथापाई तक की नोबत आ गयी व आपस में गहमागहमी हो गई। वहीं सभा स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों को भी आंदोलनकारियों को समझाने में खूब पसीना बहाना पड़ा। वहीं दूसरी और महारैली में पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को भी संघर्ष समिति के विरोध का सामना करना पड़ा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कांग्रेस पार्टी को भी आड़े हाथों लेते हुए उनसे सवाल किए कि जब कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय मूल-निवास, भू-कानून व गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित क्यों नहीं किया गया। क्या बोले संघर्ष समिति के पदाधिकारी⤵️ मूल-निवास,भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं, कहा कि उनके इन नाकाम मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जायेगा।कहा कि हमारा ये संघर्ष और लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगा,चाहे इसके लिए हमे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े। आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि आज ये लड़ाई प्रदेश के अस्त्तित्व को बचाने की लड़ाई बन चुकी है। कहा कि हमे इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ने की आवश्यकता है,जिससे हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके। कहा कि हमारी ये लड़ाई मूल निवास, भू कानून ,स्थायी राजधानी गैरसैंण व अपने जल-जंगल,रोजगार को बचाने की लड़ाई है। कहा कि यह आंदोलन एक जन-आंदोलन है. वक़्त आ गया है कि हमे अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ने के लिए एक होना होगा। संघर्ष समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि लगातार उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो रही है। कहा कि प्रदेश से पलायन होने के बाउजूद 40 लाख बाहरी लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी बन गए हैं। जिस कारण आज हमारे रोजगार पर भी बाहरी लोगों द्वारा डाका डाला जा रहा है। यही कारण है कि आज प्रदेशवाशी मूल-निवास,सशक्त भू कानून की मांग कर रहा है। कहा कि गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए जिससे पहाड़ों की मूल भूत समस्याओं का समाधान हो सके।