हिमालय की गोद में सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाक में 8 हजार फीट की ऊंचाई में बसा बेहद खूबसूरत हिमालय का अंतिम गाँव है वाण गाँव। जहाँ विराजमान हैं सिद्ध पीठ लाटू देवता का पौराणिक मंदिर। चारों धामों के कपाट खुलने के उपरांत आगामी 12 मई / 29 गते बैशाख को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लाटू देवता के कपाट आगामी 6 माह के लिए आम श्रद्धालुओं के लिए खोले दिये गए हैं जिसके बाद श्रद्धालु 6 महीने तक लाटू देवता की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
देवताओं का देव नृत्य और महिलाओ का पारम्परिक लोकनृत्य होता है आकर्षण का केंद्र..
लाटू मंदिर के कपाट खुलने पर देवनृत्य करते देवताओं के पश्वा मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं। वहीं कपाट खुलने पर यहाँ पर श्रद्धालुओं और महिलाओं द्वारा पारम्परिक परिधानों/आभूषणों में मां नंदा और लाटू देवता के लोकगीत और जागरों के संग झोडा, चांचणी लोकनृत्य हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है। यहां के लोग सालों से चली आ रही अपनी परम्पराओं का पीढी दर पीढी बखूबी निर्वहन करते हैं। लाटू मंदिर के लाटू देवता के प्रति अटूट आस्था की बानगी है कि दूर दूर से श्रद्धालुओं का इस मंदिर में तांता लगा रहता है। हिमालयी महाकुंभ नंदा देवी राजजात यात्रा का ये आखिरी पड़ाव है जहाँ आबादी है इसके बाद निर्जन पडाव शुरू हो जाते हैं। रूपकुंड, बेदनी बुग्याल और आली बुग्याल का बेस कैंप है वाण गाँव।