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पहाड़ की सैन्य अकादमी, वीरो की इस तपोभूमि की नहीं है कोई दूसरी मिशाल, विभिन्न युद्धों में 78 जांबाज हुये हैं शहीद..

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सवाड गांव (देवाल)!– पहाड़ की सैन्य अकादमी, वीरो की इस तपोभूमि की नहीं है कोई दूसरी मिशाल, विभिन्न युद्धों में 78 जांबाज हुये हैं शहीद..
संजय चौहान!
जनपद चमोली में एक गाँव ऐसा भी है जहाँ लोगो में देश प्रेम कूट कूट कर भरा है। यहाँ वीरता की ऐसी मिशाल है जो अन्यत्र कहीं और देखने को नहीं मिलती है। सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाक में हिमालय की गोद में बसे बेहद खुबसूरत सवाड़ गांव का गौरवशाली इतिहास हमें देशसेवा व देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित करता है।

सवाड गांव से प्रथम विश्व युद्व में 22, द्वितीय विश्व युद्व में 38, पेशावर काण्ड में 14, बांग्लादेश युद्व तथा ऑपरेशन ब्लू स्टाॅर में एक-एक सैनिक शहीद हुआ। देश की आजादी की लड़ाई में इस गाँव के 18 स्वतंत्रता सेनानियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया था जबकि 1962 के भारत चीन युद्ध में अकेले इस गाँव से 16 सूबेदार मेजर थे। वर्तमान में इस गाँव से 100 से अधिक भूतपूर्व सैनिक, 35 से अधिक विधवा पेंसनर और
हैं 100 से अधिक सैनिक और अधिकारी देश की सेना में कार्यरत हैं जो 24 घंटे देश की सरहदों की हिफाजत कर रहे है। गांव के लोग हर बरस यहाँ के बीरो की शहादत में शहीद मेला का आयोजन करते है। हर साल 7 -8 दिसम्बर को ये मेला होता है। आज से यह मेला शुरू हो गया है। इस साल यह मेला तीन दिनों का आयोजित होगा। आज उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेनें मेले का उद्घाटन किया। मेले के शुभारंभ पर बोलांदी नंदा पद्मश्री बसंती बिष्ट नें अपनी जागरों की शानदार प्रस्तुति से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

पिछले साल इसी गांव से शहीद सम्मान यात्रा का शुभारंभ हुआ था और शहीदों के परिजनों को ताम्रपत्र भेंटकर सम्मानित किया गया था। वहीं, देहरादून में बन रहे सैन्यधाम के लिए सवाड़ गांव से मिट्टी भी ली गई।

सवाड़ गांव क्रांति व शांति की धरती है। यहां के वीरों ने देश को नई दिशा दी। वीरो की इस भूमि और यहाँ के शहीदों को मेरा भी शत शत नमन।