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मैठाणा में आपदा प्रभावित दो परिवारों के टैंट में रहने की खबर मिली गलत

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समाचार पत्र में शीर्षक ‘‘नहीं हुआ पुर्नवास, कड़ाके की ठंड में भी रह रहे टैंट में’’ प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर एसडीमए चमोली राजकुमार पांडेय ने मैठाणा और चमेली गांव पहुंचकर जांच की। जिसमें कोई भी आपदा प्रभावित परिवार टैंट में रहता हुआ नही पाया गया।
 
एसडीएम ने रिपोर्ट में बताया कि ग्राम मैठाणा के बगड़ तोक में वर्ष 2019 की दैवीय आपदा के कारण राज्य भूमि में दो परिवारों के आवासीय भवन निर्मित थे, जो पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गए थे। प्रभावित परिवारों को तत्कालिक रूप से विकासखंड द्वारा निर्मित विपणन केंद्र के दो मंजिला भवन में शिफ्ट कराया गया, जो वर्तमान तक वहां पर निवासरत है। प्रभावित परिवार किसी भी प्रकार के टेंट या तिरपाल में नहीं रह रहे है। प्रभावित परिवारों को ग्राम की सीमांतर्गत विस्थापन एवं पुनर्वास किए जाने हेतु स्वयं प्रभावितों के साथ भूमि की खोजबीन की गई। लेकिन ग्राम मैठाणा के अंतर्गत कोई भी उपयुक्त एवं सुरक्षित भूमि उपलब्ध नहीं हो पाई है। आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने बताया कि प्रभावित परिवार मूल रूप से ग्राम द्रोणागिरी, तहसील जोशीमठ के निवासी है और शीतकाल में तहसील चमोली के मैठाणा में प्रवास करते है। शासनादेश के अनुसार प्रभावितों को उनके पैतृक संपत्ति एवं आवास के निकटस्थ ही उपयुक्त भूमि पर विस्थापन हेतु भूमि चिन्हित की जानी है, जिसका कार्य गतिमान है। प्रभावित परिवारों में सतेन्द्र लाल पुत्र नंदन लाल एवं मदन लाल पुत्र ऊमत्तू लाल शामिल है।

वही दूसरी ओर छिनका के चमेली तोक में बाम्पा तोक के 18 परिवार पट्टे की भूमि पर निवासरत थे। वर्ष 2013-14 की दैवीय आपदा के कारण उनके आवासीय भवनों को क्षति पहुंचने पर प्रभावित परिवारों को तत्समय 1.00 लाख प्रति परिवार राहत राशि दी गई थी। प्रभावित परिवारों को विस्थापन किए जाने हेतु छिनका की सीमान्तर्गत कहीं भी नाप भूमि या राजस्व भूमि उपलब्ध नहीं हुई है। प्रभावित परिवार मूल रूप से ग्राम बाम्पा, तहसील जोशीमठ के निवासी है और शीतकाल में छिनका के चमेली तोक में प्रवास करते है। आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने बताया कि शासनादेश के अनुसार उनके पैतृक संपत्ति एवं आवास के निकटतम ही उपयुक्त भूमि पर विस्थापन एवं पुनर्वास किए जाने हेतु चिन्हित की जानी है। जो कि गतिमान है। वर्तमान में प्रभावित परिवार अपने भवनों पर निवासरत है और कोई भी प्रभावित परिवार टेंट में निवासरत नही है।