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चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध हटाने की व्यापारियों ने की मांग

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चारधाम यात्रा २०२३ में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा यात्रियों की संख्या सीमित किए जाने के निर्णय को वापस लेने की मांग पर आज व्यापार संघ कर्णप्रयाग द्वारा मा मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार को एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी कर्णप्रयाग के माध्यम से प्रेषित किया गया! सरकारों की जनविरोधी नीतियों के कारण जनता पर चौतरफा आर्थिक तंगी का हमला हो रहा है, सरकारी रोजगार से लेकर रोजगार के हर सेक्टर बर्बाद हो रहे हैं ऐसे में बेरोजगार बड़ी संख्या में दुकान खोल कर परिवार का पालन पोषण करना चाहते हैं किन्तु सरकार की व्यापार विरोधी नीतियों के चलते व्यापार बर्बाद हो रहा है, रही सही कसर महंगाई और आन लाइन व्यापार ने पूरी कर दी है, इन हालातों में आज ये स्थिति है कि सिर्फ कर्णप्रयाग में ही एक दिन के अन्दर दर्जन भर से अधिक दुकानें बिकने के लिए तैयार बैठी हैं, व्यापारी आर्थिक तंगी के कारण बुरी तरह से कुंठाग्रस्त हो चुका है, सरकार ने आन लाइन व्यापार फैलाकर दुकानदारों को चोर साबित करने का काम किया है जबकि हकीकत इसके ठीक विपरीत है, एक ओर सरकार कहती है कि उत्पादन बढ़ रहा है फिर महंगाई किस लिए है? महंगाई का कारण साफ है सरकार अधिक से अधिक जीएसटी वसूलना चाहती है, उदाहरण के लिए १०० रुपए पर २० प्रतिशत जीएसटी है तो २० रुपए ही जीएसटी के रुप में मिलेंगे, इसलिए १०० रुपए की वस्तु का दाम २०० रुपए कर दिया गया है ताकि जीएसटी ४० रुपए प्राप्त हो जाए, ये महंगाई सरकार जनित है उत्पादन की कमी से नहीं, सरकार अपनी कमाई पर ध्यान दे रही है, उसे छोटे छोटे व्यवसायियों की कोई चिंता नहीं है, सरकार को चाहिए कि वो जनपक्षीय फैसले ले, ये गजब बात है कि सरकार आस्था पर भी बैरियर लगाना चाहती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है, साथ ही व्यापारियों के पेट पर लात मारने और गले में पांव रखने जैसा है, ऐसा कुठाराघात असहनीय है सरकार को चारधाम यात्रा के दौरान मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने का काम करना चाहिए और यात्रियों की संख्या को सीमित करने का निर्णय वापस लेना चाहिए! यह भी महत्वपूर्ण है कि पहाड़ों पर रात्रि 8 बजे से सुबह 4 बजे तक यातायात बंद रहना चाहिए ताकि सड़क दुघर्टनाओं पर भी अंकुश लगाया जा सके,
व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि यात्रियों की संख्या को सीमित करने का निर्णय वापस नहीं लिया गया तो हम आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे!!