चमोली: सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के लिए समुचित स्थान के चयन के प्रश्न पर बार एसोसिएशन हाईकोर्ट नैनीताल की याचिका में सुनवाई में आवश्यक पक्षकार बनने के लिए जिला बार एसोसिएशन चमोली, बार एसोसिएशन कर्णप्रयाग, बार एसोसिएशन थराली एवम बार एसोसिएशन गैरसैंण द्वारा नामित कुंवर सिंह बिष्ट एडवोकेट गैरसैंण की ओर से एक याचिका आज विद्धान अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह नेगी एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली द्वारा याचिका प्रस्तुत की गयी है कि उत्तराखण्ड राज्य की परिकल्पना ही पर्वतीय क्षेत्र के सर्वागीण विकास के लिए की गयी थी और वर्ष 1993-1994 में उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में गढवाल- कुमायुं ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत में प्रवासी पर्वतीय समाज द्वारा बढ-चढ कर भाग लिया गया था जिसमें कई नौजवानों की पुलिस की बर्बरता के चलते जानें गई, मां-बहनों पर अमानुषिक अत्याचार हुए सैकड़ो हजारों लोगों को जेलों में बेकसूर रखा गया,
तब भी गैरसैंण को सर्वसम्मत राजधानी का दर्जा मानकर आन्दोलन जारी रहा। अब जब कि उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना हो गयी है और गैरसैंण में विशाल राजधानी व विधान सभा के भवन बन कर तैयार हैं और राज्यपाल उत्तराखण्ड द्वारा इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा दिया गया है और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शीघ्र ही गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित सरकार करेगी, ऐसे में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट भी गैरसैंण में ही स्थापित किया जाना चाहिए और इसके लिए गढवाल व कुमायूं मण्डल में कोई मतभेद या मनभेद नहीं है।
21 अगस्त से गैरसैंण में उत्तराखण्ड विधान सभा का सत्र भी प्रारंभ हो रहा है और पूर्ण विश्वास है कि सदस्यगण विधान सभा में गैरसैंण में उच्च न्यायालय की स्थापना के लिए सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित करेगें