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कब होगा इंतजार खत्म ? किसके पक्ष में होगा हाइकमान और किसके पक्ष में जनता

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चमोलीः एक बार फिर से विधान सभा चुनाव की रणभेरी बच चुकी है कोरोना ने चुनाव प्रचार संबन्धी हो हल्लों पर रोक लगा दी है, लेकिन असल कौतुहल का विषय दावेदारों की अपने अपने टिकट को लेकर है हर विधान सभा में संभावनाऐं तलाशी जा रही है और राजनीतिक विशेलषक अपनी अपनी ओर से गणित और आंकडें भी फिट कर रहे है दोवेदार हाईकमान के सामने जहां अपने अपने पक्ष में जनता के मूड को लेकर प्रभाव डालने में लगे हैं वहीं हाईकमान भी तन मन धन से प्रत्याशियों को टटोल रही है। प्रत्याशियों के नाम उजागर न होने से सभी जगहों पर राजनीतिक विशेषक भी अगर मगर में ही अपनी गणित फिट कर रहे हैं चौक चौबारे में भी केवल ये होगा तो ऐसा हेा सकता है ये होगा तो ऐसा हेा सकता है लेकिन प्रत्याशियों की चेहरे सामने नहीं लाने में हाइकमान जबरदस्त मंथन करने में लगी है हालांकि यूकेडी, आप, सपा और अन्य छोटे दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर ली है। इंतजार राष्टीय दलों के प्रत्याशियों की है इंतजार की इस उत्सासुकता से इस बात का अंदाजा साफ लगाया जा सकता है कि 2022 विधान सभा में भी भाजपा कांग्रेस पिछले 21 वषों का इतिहास दोहरायेगी,
चमोली जिले कीें बदरीनाथ विधान सभा में भी भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशियों के नामों लोगों को बेसब्री से इंतजार हैे हालांकि कांग्रेस की ओर से राजेन्द्र भण्डारी का टिकट पक्का माना जा रहा है वहीं भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले जबकि वर्तमान समय में बदरीनाथ सीट पर भाजपा के विधायक है। ऐसे ही थराली में भी भाजपा ने प्रत्याशी को लेकर स्पष्ट नहीं किया और कांग्रेस की ओर से भले ही आधे दर्जन लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की हो लेकिन पूर्व विधायक डा जीतराम को कन्फर्म माना जा रहा है लेकिन वर्तमान विधायक मुन्नी देवी शाह केा लेकर भाजपा ने स्पष्ट नहीं किया है जिससे कई अन्य लेागों ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। लेकिन कर्णप्रयाम समीकरण बिल्कुल उलट हैं यहंां भाजपा कांग्रेस के सामने टिकट के लिए प्रत्याशी चुनना चुनौती बना है। पूर्व कांग्रेस नेता अनुसूइया प्रसाद मैखुरी के निधन के बाद कई विकल्प तैयार हो गये वहीं भाजपा के वर्तमान विधायक सुरेन्द्र नेगी की आस्वस्थता के चलते उनके चुनाव लडने पर असंजस की स्थिति बनी हुई ऐसे में भाजपा की ओर से एक दर्जन कार्यकर्ता पदाधिकारियों ने टिकट के लिए दोवदारी पेश की है।
अब देखने वाली बात होगी है कि बदरीनाथ और थराली