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एडमन्ड हिलेरी के सागर से आकाश अभियान को नन्दा की कृपा नहीं मिल पायी

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वर्ष 1977 में सितम्बर माह में एवरेस्ट विजेता एडमन्ड हिलेरी का गंगासागर से प्रारम्भ गंगा नदी में सागर से आकाश (हिमालय) अभियान उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में पहुंचा लेकिन नन्दप्रयाग से आगे अभियान नहीं बढ़ पाया नन्दप्रयाग के संगम जहां अलकनन्दा में नन्दाकिनी शामिल होती है वहां पर असफल होकर एडमन्ड हिलेरी ने दुखी मन से अभियान के समापन की घोषणा कर डाली। नंदप्रयाग में अपर गढ़वाल के प्रख्यात पत्रकार पी टी आई के संवादाता स्वर्गीय गोविन्द प्रसाद नोटियाल जी ने एडमंड हिलेरी का धारा प्रभाव अंग्रेजी में इंटरव्यू लिया जो राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुआ था।

एडमन्ड हिलेरी ने गंगासागर से गंगा के उदगम गोमुख तक अपना अभियान क्यों नहीं बनाया बल्कि देवप्रयाग से अपना अभियान अलकनन्दा में किन कारणों व उद्देश्य से बनाया इसका रहस्य आज तक प्रकट नहीं हो पाया। नन्दा भक्तों का मानना है कि शिव शंकर की उपेक्षा के कारण ही सम्भवतया अभियान सफल नहीं हो पाया। नन्दादेवी कुपित हो गई।
आजादी से पहले सीमांत क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की नन्दप्रयाग राजधानी थी स्वतंत्रता संग्राम सैनानी गढ़केशरी अनुसुया प्रसाद बहुगुणा के भय से अंग्रेज हुक्मरान भी नन्दप्रयाग बस्ती होकर नहीं जाते थे बल्कि अलकनंदा नदी के किनारे किनारे चुपके चुपके निकल जाते थे लेकिन एडमन्ड हिलेरी का अभियान तो नंदप्रयाग से पहले ही आगे नहीं बढ़ पाया।

सागर से आकाश अभियान को रुद्रप्रयाग से नन्दप्रयाग तक मुझे गढ़वाल के सर्वाधिक सक्रिय पत्रकार स्व० उमाशंकर थपलियाल जी के साथ कवरेज करने का सौभाग्य प्राप्त हुवा स्व० थपलियाल जी यू एन आई, आकाशवाणी आदि के संवाद‌दाता थे और मैं अमर उजाला का जनपद चमोली का संवाददाता था।

रुद्रप्रयाग के पास कोटेश्वर मन्दिर के समीप काखड़ फाली तथा कमेडा के पास भी अभियान को अलकनन्दा नदी में आगे बढ़ने में काफी परेशानी रही रात्री विश्राम कमेडा के सामने अलकनंदा नदी के दूसरी ओर रहा। कर्णप्रयाग में अभूतपूर्व स्वागत हुआ। मैने भी एक दस रु० के नोट पर एडमंड हिलेरी का ऑटोग्राफ लिया था.अलकनन्दा में वर्ष 1966 में भी जोशीमठ से हरिद्वार तक नदी परिवहन की संभावनाओं को लेकर इलाहावाद विश्व विद्यालय के छात्र नेता स्व० आनन्द नौटियाल (निवासी ग्राम हेलुरी/लांगासू जिला चमोली) ने भी प्रयास किया था कि छिनका के पास वोट पलटने से दुर्घटना हो गई स्व० नौटियाल का मानना था, की वर्ष में 9 माह हम अलकनंदा व गंगा नदी में नदी परिवहन प्रारम्भ कर समय, ईधन और रुपया यहां के निवासियों का बचा सकते हैं। इस घटना के अंग्रेजी अखबारों में छपी खबर को स्थानीय निवासी श्री राकेश चंद्र डिमरी “राकुडी” ने एडमंड हिलेरी को भेट की. (भुवन नौटियाल)