चमोली
पंचकेदार में से एक श्री रूद्रनाथ धाम की यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर वृहस्पतिवार को अपर जिलाधिकारी अनिल कुमार चन्याल ने मंदिर के पुजारियों, हक हकूकधारियों एवं संबधित विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें सभी संबधित विभागों को 10 मई तक यात्रा व्यवस्थाओं को दुरूस्थ करने के निर्देश दिए गए। इस वर्ष श्री रूद्रनाथ मंदिर के कपाट अगामी 17 मई को खुलेंगे।
अपर जिलाधिकारी ने लोनिवि को पैदल यात्रा मार्ग को सुचारू करने, सगर से चन्द्रकोटी तक नगर पालिका को स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था करने तथा नारदकुण्ड से मंदिर तक उरेडा को सोलर लाइट लगाने के निर्देश दिए। पैदल मार्ग पर सफाई व्यवस्था हेतु जैविक और अजैविक कूडेदान की व्यवस्था भी सुनिश्चित करने को कहा। जल संस्थान को पैदल मार्ग पर पेयजल व्यवस्था तथा स्वास्थ्य विभाग को यात्रा के दौरान फस्ट एड किट की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रूद्रनाथ में धर्मशाल की छत के लिए प्लास्टिक तिरपाल जल्द उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि बारिश में यात्रियों को परेशानी न हो। बैठक में मंदिर के पुजारी, हक हकूधारियों एवं ग्राम वासियों ने सुरक्षित यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर अपने सुझाव रखे। इस अवसर पर रूद्रनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी धर्मेन्द्र तिवारी, प्रबंधक आशुतोष भट्ट, हक हकूकधारी देवेन्द्र सिंह बिष्ट, सत्येन्द्र रावत, प्रेम सिंह बिष्ट, गजेन्द्र सिंह नेगी, ग्वाड ग्राम प्रधान नीरज बिष्ट सहित सभी संबधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि रूद्रनाथ मंदिर में भगवान शिवजी के एकानन यानि कि मुख की पूजा होती है। रूद्रनाथ मंदिर की यात्रा गोपेश्वर से शुरू होती है। यहां से सगर गांव तक वाहन से जा सकते है। सगर गांव से लगभग 18 किमी पैदल चढाई चढकर सुन्दर बुग्यालों से होते हुए रूद्रनाथ मंदिर तक पहुॅचा जाता है। रूद्रनाथ यात्रा के अलौकिक परिवेश में चारों ओर हरियाली, हिमालयी पुष्प, पशु पक्षी, ब्रहमकमल, भोजपत्र के वृक्ष बहुतायत में मिलते है। समुद्रतल से लगभग 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रूद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। नन्दा देवी और त्रिशूल की हिमच्छादित चोटियां यहां का आकर्षण को और बढाती है। भक्तों के लिए ग्रीष्मकाल में 6 महीने रूद्रनाथ मंदिर के कपाट खुले रहते है।