चमोली उत्तराखंड के चार धामों को देवस्थानम बोर्ड के अंतर्गत लिए जाने के बाद से लगातार सभी जगहों पर पुरोहित हक हकूक धारियों द्वारा विरोध किया जा रहा था लेकिन सरकार ने आश्वस्त किया था कि हक्कू धारियों और तीर्थ पुरोहितों के हकों के साथ-साथ धार्मिक परंपराओं पर किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी देवस्थानम बोर्ड का गठन केवल उत्तराखंड के चारों धामों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना है लेकिन 2021 में चार धामों के कपाट खुलने के बाद जहां कोविड-19 इनके तहत केवल पूजा पद्धतियों से जुड़े गिनती के लोगों को धर्मों में पूजा अर्चना के करने की अनुमति दी गई थी वही केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों द्वारा विरोध किया गया कि उन्हें मंदिर में दर्शनों की अनुमति नहीं दी जा रही है जिसके बाद सभी जगहों पर तीर्थ पुरोहितों और सिखों को उदाहरण द्वारा विरोध किया जाने के बाद इसका समाधान हुआ बद्रीनाथ में भी पूजा अर्चना के समय में बदलाव को लेकर चारों तरफ इसका विरोध होने लगा 4:30 के बजाए 7:00 बजे से पूजा-अर्चना शुरू हुई सभी जगहों पर तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों द्वारा इसके विरोध किए जाने पर फिर से देवस्थानम बोर्ड को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा और ब्रह्म मुहूर्त में ही बद्रीनाथ धाम की पूजा-अर्चना शुरू हुई सोमवार को धर्मस्व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा बयान दिया गया कि अभी देवस्थानम बोर्ड में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है इससे पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा देवस्थानम बोर्ड को लेकर आश्वासन दिया गया था लेकिन सरकार की तरफ से किसी भी तरह स्थाई निर्णय नहीं लिया गया सतपाल महाराज के इस बयान से नाराज तीर्थ पुरोहित काफी नाराज हैं और उन्होंने सतपाल महाराज का पुतला दहन किया वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड केवल चार धामों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात कही गई थी लेकिन लगातार देवस्थानम बोर्ड द्वारा धार्मिक परंपराओं पर छेड़छाड़ की जा रही है ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को कोई हक नहीं है कि वह चार धामों की परंपराओं से छेड़छाड़ करें ने कहा कि 2022 में अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो वह बद्री केदारनाथ मंदिर समिति बहाल करेंगे
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