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इंदिरा मुझे जीतने नही देगी , गढ़वाल मुझे हारने नही देगा “* – *हेमवती नंदन बहुगुणा*

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देश के जाने माने राजनीतिज्ञ हेमवती नंदन बहुगुणा की 105 वी जयंती पर श्रद्धापूर्वक याद करते हुए प्रसिद्ध इतिहासकार योगेश धस्माना बताते हैं कि 1981 में ऐतिहासिक गढ़वाल संसदीय उपचुनाव में इंदिरा गांधी से सीधा लोहा मनवाते हुए , इस उपचुनाव में बहुगुणा के नेतृत्व में गैर कांग्रेस वाद की नीव भी रखी गई । यह देश का पहला ऐसा चर्चित उपचुनाव था जिसमें भारी गड़बड़ियों के चलते चुनाव आयुक्त एस.एल. शकधर ने पूरे चुनाव को रद्द कर दिया था । उन्हें 1982 में हुए उपचुनाव में बहुगुणा को संसद में आने से रोकने के लिए इंदिरा गांधी ने गढ़वाल संसदीय उपचुनाव में 38 जनसभाएं कर एक रिकॉर्ड बनाया था। इतना ही नहीं , कांग्रेस के छह मुख्यमंत्री केंद्र और राज्यसरकारों के 65 मंत्रियों को चुनाव में झोंकने के साथ ही 125 युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता संजय सिंह के नेतृत्व में कई बाहुबलियों के साथ चुनाव मैदान में थे। भाजपा को ओर से पार्टी लाइन से हटकर अटल बिहारी बाजपई ने भी देहरादून में हेमवती नंदन बहुगुणा के लिए वोट मांगकर उनके संसदीय उपस्थिति को अनिवार्य बताया। देश के प्रमुख 18 राजनैतिक दलों ने बहुगुणा के नेतृत्व में इंदिरा गांधी को ललकारते हुए 29000 वोटों से यह चुनाव जीता। आज बहुगुणा की इस राजनैतिक विरासत को उनके परिजन आगे बढ़ाने में असफल रहे हैं। रीता बहुगुणा , शेखर और विजय बहुगुणा राजनैतिक नैपथ्य में चले गए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है । इस जननायक को उनकी जयंती पर बहुगुणा के चाहने वाले भारी मन से याद करते हैं।

डॉ योगेश धस्माना