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यहां कंधों पर होती है अपनों की जान

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बीमार को कुर्सी पर अस्पताल ले जाते ग्रामीण

यहां कंधों पर होती है अपनों की जान
सरकारें और उनके प्रतिनिध हर बार विकास को मंचों से गिनाते रहते हैं लेकिन विकास किस तरह से हुआ इसकी बानगी ये तस्वीरें बयां करती हैं, 20 से 22किमी बीमार ओर गर्भवती महिलाओं को अपने कंधों पर लेकर अस्पताल तक पहंुचाते हैं। जिसकी किस्मत होती हैं उनकी जान बच जाती हैं लेकिन समय पर इलाज न मिल पाने से कई लोग अपनों के कंधों पर दम तोड देते हैं। चमोली जिले के पल्ला किमाणा गांव के लिए पिछले 20वषों से भाजपा हो या कांगेस के नेताओं ne सडक बनावाने के लिए पीठ थपथपाई हैं। लेकिन आज भी ग्रामीणों की समस्याएं कम नहीं हुई हैं। इन छेत्रों के लोग अपनों की जान बचाने के लिए किसी के भरासे नहीं रहते हैं बल्कि अपनों को कंधों पर रखकर उनकी जान बचाने की कोशिश करते हैं।

आज एक मामला जोशीमठ गांव के किमाणा गांव का है यह केवल एक उदाहरण मात्र है
केस स्टडी

बीमार को कुर्सी पर अस्पताल ले जाते ग्रामीण

मातृशक्ति का सम्मान करने वाली सरकार क्यों नहीं रख रहा पा रही है मातृशक्ति के स्वास्थ्य का ध्यानघ् यह तस्वीर है चमोली जनपद के कीमाणा गांव की जहां 2 दिन पहले एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया और उसके बाद उसकी तबीयत अचानक खराब होने लगी गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं न होने की वजह से महिला को ग्रामीणों ने कंधों पर उठाकर पहले बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पहुंचाया और उसके बाद उसे जोशीमठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गांव के प्रधान मुकेश चंद्र सेमवाल ने बताया कि श्रीमती दीपा देवी पत्नी मुकेश की तबीयत अचानक खराब होने लगी सोमवार को सुबह जब गांव में स्वास्थ्य सुविधा ना होने पर आनन.फानन में गांव के कुछ युवाओं ने महिला को कंधे में एक पालखी बनाकर सड़क मार्ग तक पहुंचाया वहीं क्षेत्र पंचायत रोशनी देवी ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं हैं लेकिन वहां कोई डॉक्टर नहीं रहता है जिसकी वजह से कभी कभी गांव में मुश्किलें पैदा हो जाती हैं स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही से एक महिला और उसके बच्चे की जान खतरे में आ गई है लेकिन इस और स्वास्थ्य विभाग कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है