Home आलोचना तो क्या अब बंद हो जायेगा गोपेश्वर पाॅलिटैक्नीक काॅलेज

तो क्या अब बंद हो जायेगा गोपेश्वर पाॅलिटैक्नीक काॅलेज

22
0
चमोली के जिलामुख्यालय गोपेश्वर स्थित घिंघराण में राजकीय पॉलीटैक्निक कॉलेज अब पूरी तरह बंद होने के अंतिम दौर में गया है।शासन द्वारा मिले निर्देशो के बाद कालेज प्रबन्धन के द्वारा यंहा अध्यनरत सभी छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट कर कर दिया गया है।यंहा कार्यरत स्टाफ भी अपने आप को अन्यत्र नजदीकी कालेजो में समायोजित करने के सरकारी आदेशों का इंताजर कर रहा है।
चमोली ज़िले के जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 2 किलोमीटर की दूरी पर घिंघराण गांव में वर्ष 2006 में सरकारी पॉलीटैक्निक कालेज की स्थाफना की गई थी।और 2009 में यह कालेज संचालित हो गया था।तब इस पॉलीटैक्निक कालेज में यांत्रिकी,सिविल,और आईटी ट्रेड था ,और छात्र संख्या भी  250 के पार थी।जिससे यह इलाका भी गुलजार था।लेकिन समय के साथ बढ़ती छात्र संख्या को देखते हुए भवन के आभाव में आईटी ट्रेड को छोड़कर यंहा यांत्रिकी और सिविल इंजीनियरिंग का ट्रेड बंद कर दिया गया।जिसके बाद से यंहा छात्र संख्या में लगातार गिरावट आनी शुरू हो गई।अब कालेज के पास भवन तो है ,लेकिन ट्रेड के आभाव में छात्र नही है।जो छात्र थे भी उनको निदेशालय के आदेशों के बाद कालेज के द्वारा अन्य कालेजो में शिफ्ट कर दिया गया है। कालेज में छात्र न होने से कक्षाएं और कम्प्यूटर लैब भी सूनी पड़ी हुई है।कालेज बन्द होने से छात्र अपने और आने वाले छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित है।उनका कहना है कि अगर सरकारे कालेज को बंद करने के बजाए ट्रेड बढ़ाती तो छात्रों की संख्या बढ़ सकती थी।

अनूप बिष्ट.छात्र का कहना है कि सीमांत क्षेत्र के बच्चो के भविष्य के साथ इस तरह का मजाक ठीक नहीं उन्होंनक कहा कि सरकार पहाड के युवाओं के लिए गंभीर नहीं लग रही है जिस तरह से राजकीय पाॅलिटैक्नीक काॅलेज बंद हो रहे हैं उससे लगता है कि आने वाले समय में पहाड के युवा ओ इस क्षेत्र में आपना भविष्य देखते हैं उन्हें अपना घर गांव छोडकर अन्यत्र जाना होगा जिसके लिए जिन बच्चों के अभिभावक सक्षम होंगे वहीं इस कोर्स को कर पायेंगे

राजकुमार. जो कि संविदाकर्मी है उनका कहना है कि उनके लिए यहां पर रोजगार का एक माध्यम था और घर परिवार चल रहा था लेकिन अब जब काॅलेज बंद हो जायेगा तो उनके सामने भी रोजी रोटी का संकट खडा हो जायेगा।

हीं छात्र नेता पंकज का कहना है कि सरकारें जिस तरह से मंचों पर पलायन रोकने की बडी बडी बातें करती हैं दूसरी तरफ सीमांत क्षेत्र के विद्यालयों को बंद कर रही है अगर सरकार ने इस विषय पर सोचा नहीं तो बडा जन आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
वहीं स्थानीय निवासी हरेन्द्र ंिसंह भी बताते है। कि पूर्व में यहां पर कई ट्रेड थे और 2सौ से अधिक बच्चे थे लेकिन वर्तमान समय में विद्यालय को बंद करना दुर्भाग्य पूर्ण है।

पॉलीटैक्निक कॉलेज बन्द होने की खबर को सुनकर यंहा के स्थानीय लोगों में खासी निराशा है।लोगो का कहना है कि सरकारों के द्वारा योजनाबद्ध तरीके से पहले महत्वपूर्ण ट्रेड बंद किये गए अब कालेज को ही बंद करवा दिया है।जिससे कॉलेज के आसपास रहने वाले लोगो के भी रोजगार को नुकसान पहुंचा है।और यंहा के स्थनीय छात्रों को भी कालेज बन्द होने से खासा नुकसान होगा।
पॉलीटैक्निक कालेज की प्रभारी प्रधानचार्य प्रभा कुमारी- का कहना है कि निदेशालय के आदेशो के क्रम में न्यून छात्र संख्या को देखते हुए यंहा अध्यनरत छात्रों को नजदीकी पॉलीटैक्निक कालेजो में शिफ्ट किया गया है।अब यंहा मौजूदा समय मे कोई भी छात्र अध्यनरत नही है।कर्मचारियों को लेकर अभी तक कोई आदेश नही पहुंचा है।