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चिपको के बाद यही पुकार, जंगल नहीं जलने देंगे अबकी बार। “

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चिपको के बाद यही पुकार, जंगल नहीं जलने देंगे अबकी बार। ”
वनग्नि की रोकथाम को लेकर जन जागरुकता यात्रा शुरू।

गोपेश्वर। चिपको आंदोलन की मातृ संस्था दशोलीग्राम स्वराज्य मंडल,सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र ” तथा हैरिटेज ऑफ गढ़वाल हिमालय और वन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में चिपको के बाद यही पुकार, जंगल न जलने देंगे अबकी बार ” के संदेश के साथ वनाग्नि के दुष्प्रभाव को लेकर अध्ययन एवं जन जागरुकता यात्रा लासी गांव से शुरू हो गई। यात्रा के शुभारंभ के मौके पर आयोजित गोष्ठी में प्रभागीय वनाधिकारी बद्रीनाथ वन प्रभाग सर्वेश कुमार दुबे ने कहा कि चमोली वन संरक्षण के लिए पूरी दुनिया में अलग पहचान रखता है। यह वनांदोलनो की जन्म भूमि रही है। महिलाओं ने अपने प्रयासों से अपने जंगलो को सँवारा है। लेकिन हाल के वर्षो में जंगलों के लिए आग सबसे बड़ा सकंट बना है। माचिस की एक छोटी सी तिल्ली से जंगलो के अस्तित्व पर संकट के बादल खड़े हो जाते है।उन्होंने बताया की वनागनि से जंगल को लोक प्रयासों से ही बेहतर ढंग से सुरक्षित किया जा सकता हैं।जंगल रहेंगे तो ही हमारे नौले,धारों पर भी पानी बना रहेगा।जंगल हमे सब कुछ निश्वार्थ सब कुछ देता है। जंगली जानवरो से खासकर भालू से बचाव के लिए बेडु आदि जंगली फलों के पौधों का रोपण के साथ ही उनके संरक्षण की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी ग्राम सभा वनागनि से अपने जंगलों को बचाये रखेगा उसे विभाग की ओर से पुरस्कृत करने के साथ ही प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जायेगा।
ग्राम प्रधान लासी नयन सिंह कुँवर ने गोष्ठी में विचार रखते हुए कहा की उनके गाँव में जैव विविधिता, तथा आपदा प्रबंधन समितियां सुचारु रूप से क्रियाशील है। जिसे प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है। साथ ही उन्होंने अग्नि काल के दौरान कार्य करने वाले स्वयं सेवियो को पर मानदेय देने की बात कही।
वनाग्नि यात्रा में ओम् प्रकाश भट्ट ने कहा कि विश्वब्यापी पर्यावरण संरक्षण का संदेश “चिपको” का सूत्रपात भी इसी क्षेत्र से हुआ। हमने चिपको की लडाई से कुल्हाड़ी के वार से तो पेड़ों को बचा लिया लेकिन अब हमारे समक्ष एक छोटी सी तिली से भड़कने वाली वनग्नि से अपने जंगलो को बचाने की चुनौती है। एैसे में हम सभी को चाहिए कि समयपूर्व अपने जंगलो को आग से बचाने के लिए एहितियाति उपायों पर चर्चा कर उचित कदम उठाये जाय जिससे अग्नि काल में हमारे जंगल इस विपदा से सुरक्षित रह सके। और आग की छोटी घटना को विकराल होने से रोका जा सके।
रजनी देवी ने गोष्ठी में बताया कि उनके वन पंचायत में आग की घटनाएं नही होती हैं। यदि कभी कही असावधानी बस कही छुट पुट घटना हो भी जाती है तो मिलकर उस पर काबू कर लिया जाता है।उन्होंने जंगली जानवरों खासकर भालू के आतंक से निजात दिलाने की अपील की।
गोष्ठी में हैरिटेज ऑफ गढ़वाल हिमालय के प्रदीप सिंह फरासवाण , रेंजर बी एल भारती ,पूर्व प्रधान वीरेंद्र सिंह,ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम समन्वय विनय सेमवाल ने यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए बताया की वनग्नि यात्रा ग्राम सभा लासी से शुरू होकर,मजेठि मेढ ठेली,सरतोली मैठाणा, वैरासकुंड होते हुए राजबगठि में समापन होगा।
इस दौरान आयोजित गोष्ठियों में प्रधान मजोठी पूरण सिंह, देवेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, कुँवर सिंह, वीना देवी, सहित कई लोग