प्रेरणास्रोत!– ‘एप्पल मैन’ इंद्र सिंह बिष्ट, वीरान पहाडों पर उगा रहे हैं सोना, 74 साल की उम्र में पलायन के खिलाफ चट्टान की तरह अडिग..
ग संजय चौहान!
एक और हमारे पहाड़ के गांव बदस्तूर पलायन से खाली होते जा रहें है। वहीं हमारे बीच कई ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो किसी मिशाल से कम नहीं है। रोंग्पा घाटी भ्रमण के दौरान एक ऐसी ही शख्सियत एप्पल मैन इंद्र सिंह बिष्ट जी से मुलाकात हुई। जिस उम्र में अधिकतर लोग दवाइयों के सहारे जीवनयापन करते हैं उस उम्र में ये विषम परिस्थितियों में अपने एप्पल गार्डन की देखभाल करते हुये नजर आते हैं। विगत 30 बरसों से वे पलायन के खिलाफ चट्टान की तरह अडिग है।
सीमांत जनपद चमोली की रोंग्पा- नीति घाटी में बसा है एक बेहद खूबसूरत गांव है जेलम। यहाँ के 74 वर्षीय बुजुर्ग इंद्र सिंह बिस्ट ने अपनी मेहनत, दृढ इच्छा शक्ति, धैर्य, जज्बे, से सीमांत की बंजर और बेकार पड़ी भूमि को ऐसा सींचा की बंजर भूमि भी सोना उगने लग गई। 10 साल का लम्बा इन्तजार भी उनके होंसले को डिगा नहीं पाया। जिसकी परिणति ये हुई की लोग उन्हें एप्पल मेन के नाम से जानते हैं।
गौरतलब है की जेलम गांव के इंद्र सिंह बिस्ट ने १९८८ में बड़ी मुश्किल से कर्ज लेकर के 20 हजार रुपयों का बंदोबस्त किया। इन रूपयों से उन्होंने रोंग्पा घाटी के अपनें झेलम गांव में बेकार और बंजर पड़ी भूमि पर 100 सेब के पेड़ लागाये थे। जब उन्होंने ये पेड़ लगाये थे तो सभी ने उनका मजाक उड़ाया था और उनसे कहा था की यहाँ पर सेब के पेड़ कैसे उग सकतें है। लोगों नें इसे बेवकूफी भरा कदम बताया था। लेकिन इंद्र सिंह ने हार नहीं मानी और १९८८ से लेकर के १९९८ तक इन पेड़ो की हिफाजत खुद से भी ज्यादा की। बकौल इंद्र सिंह बिस्ट ये 10 साल उनके जीवन के सबसे संघर्षमय साल रहे। उन्होंने कभी हार नहीं मानी, 10 साल बाद उन्हें पहली ख़ुशी तब मिली जब उनके लगाए गए सेब के पेड़ो ने फल देना शुरू किया। ऐसा लगा जैसा उनका देखा गया सपना सच हो गया है। बस इसके बाद इंद्र सिंह ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज 31 साल बाद उनके पास सेब का एक पूरा बगीचा है। हर साल उनके पास सेब की बहुत मांग आती है। आज स्थिति यह है कि सीजन से पहले ही उनके पास सेब की पूरी डिमाण्ड आ जाती है। कभी कभी लोगों की डिमांड भी पूरी नहीं हो पाती है। जिससे वे अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं। इंद्र सिंह बिष्ट के जेलम के सेब की मिठास व गुणवत्ता हिमांचल और जम्मू कश्मीर से भी बढ़िया है। उन्होंने अपने बगीचे में सेब की 5 प्रजाति- रॉयल डेलिसिस, गोल्डन, राइमर, स्पर, और हेरिसन, विकसित की है। इसके अलावा उन्होंने अपने बगीचे में उच्च गुणवत्ता की नाशपाती और बादाम के पेड़ भी उगायें है, जो उन्हें अच्छी खासी आमदानी देतें हैं। जितनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं
वास्तव में लोग रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर रहें है जबकि पहाड़ में रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है। इंद्र सिंह इसकी की मिशाल है, उम्र के इस पड़ाव पर उन्होंने पलायन को आईना दिखाया है। वीरान पहाडों में जहां शीतकाल में आपको कोई भी नहीं दिखाई देता वहीं इंद्र सिंह बिष्ट जी साल के 12 महीने अपने एप्पल गार्डन की देखभाल करते नजर आते हैं। एप्पल मैन के हौंसलें और जज्बे को सलाम, आज वो उन लोगों के लिए नजीर है जिन्हें पहाड़ केवल पहाड़ नजर आता है। अगर आप भी नीती घाटी के 15 अगस्त में शामिल होने या फिर इस ओर जाने का कार्यक्रम है तो जरूर मिलिएगा जेलम के एप्पल मेन से और दीदार कीजिएगा उनके एप्पल गार्डन का..