Home उत्तराखंड विभाग को हुवा नुकसान तो भुगतेगा जिमेदार अधिकारी

विभाग को हुवा नुकसान तो भुगतेगा जिमेदार अधिकारी

19
0

◆विभाग को नुकसान हुआ तो, अधिकारियों के वेतन से होगी कटौती : विद्युत लोकपाल
◆उपभोक्ताओं को उत्कृष्ट सेवा प्रदान करना विभाग का दायित्व ।
◆अधिकांश अधिकारियों को इलैक्ट्रिसिटी एक्ट जानकारी न होने के कारण विभाग सी.जी.आर.एफ. के समक्ष हार जाता 80% मामालों में ।

पौड़ी ! गढ़वाल सर्किल के विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के सदस्यों एवं विभागीय अधिकारियों के साथ गढ़वाल मण्डल मुख्यालय स्थित सर्किट हाउस में उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एवं वर्तमान में विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने बैठक की । बैठक में विद्युत लोकपाल ने उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के अब तक के फैसलों की समीक्षा करते हुए कहा कि ऊर्जा निगम 80% मामलों में मंच के समक्ष हार रहा है । उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस हार के कारण ऊर्जा निगम को भारी आर्थिक नुकसान भी हो रहा है । लेकिन उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच उपभोक्ताओं को उत्कृष्ट सेवा व उनके अधिकारों के सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी व निष्ठा से काम कर रहा है ।
विद्युत लोकपाल ने कहा कि मंच के समक्ष दर्ज मामलों में विभाग की हार का मुख्य कारण अधिकारियों को इलैक्टिसिटी एक्ट 2003 व विद्युत नियामक आयोग के रेगुलेशल इलैक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2007 की सम्पूर्ण जानकारी का न होना एवं उक्त एक्ट को उनके द्वारा गंभीरता से न लिया जाना भी है । लोकपाल सुभाष कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि अधिकारी एक्ट को गंभीरता से लें, और एक्ट को ठीक से पढ़ भी लें । वरना विभाग को होने वाले नुकसान की भरपाई संबंधित अधिकारियों के वेतन से कटौती कर पूरी की जाएगी ।

विद्युत लोकपाल ने कहा कि यदि ऊर्जा निगम के अधिकारी ठीक से उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के कायदे कानूनों को गहनता से पढ़ लेंगे तो उनकी कार्यशैली में स्वत्: ही परिवर्तन आएगा । एक्ट की पूरी जानकारी होने पर ही विभागीय अधिकारी और कर्मचारी उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के अनुरूप उत्कृष्ट सेवाओं के देने के लिए प्रतिबद्ध हो सकेंगे । लोकपाल सुभाष कुमार ने कहा कि उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच का उद्देश्य यह नहीं है कि, वह उपभोक्ताओं को लाभ व विभाग को नुकसान पहुंचाए । उन्होंने कहा कि मंच उपभोक्ताओं के हितों के लिए गठित हैं । यदि विभागीय अधिकारी नियमों के अनुसार उपभोक्ताओं को सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध होंगे तो शिकायतें दर्ज होंगी ही नहीं । लेकिन लगातार शिकायतें मंच के समक्ष दर्ज हो रही हैं, इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं सेवाओं में कमी है ।

◆दो से अधिक आई. डी. एफ, आर. डी. एफ, एन. ए. बिल होने पर अन्य सभी होंगे माफ :
यह देखना विभाग का काम है कि वह उपभोक्ताओं को किस प्रकार से बिल दे रहा है । दरअसल अधिकांश मामलें बिलों में अनियमितता के दर्ज हैं । एक्ट स्पष्ट करता है कि विभाग उपभोक्ता को दो से अधिक बिल IDF , RDF, NA या NR के नहीं दे सकता है, लेकिन अधिसंख्य मामलों में यह गड़बड़ी देखी जा रही कि उपभोक्ताओं को 3 या 4 माह के बजाय सालों साल से उक्त बिल भेजे जा रहे हैं । विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने कहा कि ऐसे मामलों में मंच दो से अधिक बिल होने पर अन्य सभी बिल उपभोक्ता के माफ कर सकेंगे क्योंकि ऐसा एक्ट में स्पष्ट वर्णित है ।
ऐसे में जाहिर सी बात है कि नुकसान यूपीसीएल को उठाना पड़ता है, आगे विभाग को किसी अधिकारी की लापरवाई के चलते नुकसान न हो, उसके लिए सरकार के साथ पत्राचार किया जा रहा है, संभवत: 1 अप्रैल से सेवा में कमी के कारण विभाग को होने वाले नुकसान की भरपाई अब जिम्मेदार अधिकारी के वेतन से कटौती से होगी, इसलिए सभी अधिकारी एक्ट को अच्छे से पढ़ लें व जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करें ।

◆सीलिंग सर्टिफिकेट देना है अनिवार्य :
विद्युत लोकपाल ने अधिकारियों को कहा कि वह उपभोक्ताओं को पहले आवश्यक रूप से नोटिस दें तब चैक मीटर स्थापित करने की कार्रवाई करें, और तत्काल उपभोक्ता को यथास्थान हस्ताक्षर युक्त रसीद भी देना सुनिश्चित करें । उन्होंने अनेकों मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि विभाग उपभोक्ताओं को सीलिंग रिपोर्ट नहीं देता है, जिस आधार पर आगे कोर्ट से उपभोक्ता जीत हासिल कर लेता है और विभाग को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है ।

◆बिजली चोरी मामलों में सी.जी.आर.एफ. के पास आ सकता है उपभोक्ता :
विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने पूर्व में दिए गए दिवाकर देव के जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि, उक्त मामले में उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के समक्ष भी उपभोक्ता अपनी आपत्ति दर्ज कर सकता है । उन्होंने सेक्शन 126 एवं 135 का हवाला देते हुए कहा कि CGRF एवं Ombudsmen उक्त मामलों को देख व सुन सकते हैं । विद्युत लोकपाल ने कहा कि उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच अथवा लोकपाल उपभोक्ता की शिकायत के पश्चात उस पर की गई कार्रवाई की प्रक्रिया ( प्रॉसिजर) को चैक कर सकता है । यदि कार्रवाई, प्रक्रिया नियमानुसार हुई हो तो मामले की सुनावाई जिलाधिकारी की अदालत करेगी और यदि नियमों का उलंघन कर कार्रवाई हुई है तो उपभोक्ता के अधिकारों के तहत मंच अथवा लोकपाल मामले की सुनवाई कर सकते हैं ।

बैठक में सी.जी.आर.एफ. कर्णप्रयाग मण्डल से उपभोक्ता सदस्य शशि भूषण मैठाणी, तकनीकी सदस्य भूपेंद्र कनेरी, श्रीनगर उपभोक्ता सदस्य एस एस नेगी, विधि सदस्य सुंदरी गैरोला अधीक्षण अभियंता श्रीनगर मदन राम आर्य, अधिशासी अभियंता कोटद्वार रघुराज सिंह, अधिशासी अभियंता पौड़ी अभिनव रावत, अधिशासी अभियंता गैरसैण एवं रुद्रप्रयाग डीएस चौधरी, अधिशाषी अभियंता नारायण बगड़ विनीत सक्सेना, अधिशासी अभियंता कोटद्वार प्रतीक्षारत मोहित डबराल, अधिशासी अभियंता श्रीनगर यदुबीर सिंह तोमर सहित अन्य जूनियर अधिकारी मौजूद रहे ।