चमोली जिले में मध्य हिमालय की 11 हजार 7 सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को शीतकाल के लिये विधि विधान के साथ बंद हो गये हैं। जिसके बाद भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली भक्तों के साथ अपने शीतकालीन गद्दी स्थल गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर पहुंच गई है। जहां आगामी वर्ष की यात्रा शुरु होने तक भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना संपन्न की जाएंगी।
शनिवार को रुद्रनाथ मंदिर में सुबह साढे चार बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रियाएं शुरु हुई। यहां सुबह साढे चार बजे मंदिर के मुख्य पुजारी वेद प्रकाश भट्ट ने भगवान रुद्रनाथ को स्नान कराया गया। जिसके बाद यहां महाअभिषेक, रुद्राभिषेक पूजाएं संपन्न कराई गई। जिसके बाद मुख्य पुजारी द्वारा यहां करीब साढे छह बजे भगवान रुद्रनाथ के विग्रह का हिमालयी पुष्पों, जडी बूटियों व वनस्पतियों सें मंत्रोच्चार के साथ ढका। जिसके बाद विधि विधान से मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये। मंदिर के कपाट बंद होने के पश्चात उत्सव डोली अपने भक्तों के साथ 22 किमी की पैदल दूरी तय कर देर शाम गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर पहुंची। जहां भक्तों ने उत्सव डोली का भव्य स्वागत किया। जिसके बाद यहां गोपीनाथ मंदिर प्रांगण में भगवान रुद्रनाथ को गोपेश्वर गांव की महिलाओं द्वारा लाई गई भेंट के साथ अर्ध्य दिया गया। पूजा-अर्चना के बाद भगवान रुद्रनाथ अपने शीतकलानी गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर में विराजमान हो गये हैं। इस मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अनसूया प्रसाद भट्ट, प्रयागदत्त भट्ट, प्रेम बल्लभ भट्ट, वंशी प्रसाद भट्ट, हरीश भट्ट, चंद्रकला बिष्ट, सुशीला सेमवाल, नवल भट्ट, उषा भट्ट आदि मौजूद थे।