कनु केई रोलु ते हिंवाला कैलाश..!– बंड की माँ नंदा की डोली कैलाश को विदा, भावुक हुए श्रद्धालु, छलछला गयी ध्याणियों की आंखे…
चमोली।
आखिरकार एक साल के इन्तजार के बाद एक बार फिर से नंदा के जयकारों से पूरे पहाड़ का लोक नंदामय हो गया है। आज से नंदा के मायके में नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा शुरू हो गयी है। नंदा धाम कुरूड के सिद्ध पीठ मंदिर में श्रद्धालुओं नें नंदा के पौराणिक लोकगीतों और जागर गाकर हिमालय की अधिष्टात्री देवी माँ नंदा को हिमालय के लिये विदा किया। इस अवसर पर दूर दूर से आये श्रद्धालुओं की आंखें छलछला गयी। खासतौर पर ध्याणियां मां नंदा की डोली को कैलाश विदा करते समय फफककर रो पड़ी। आज 23 अगस्त से शुरू नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा 10 सितम्बर को उच्च हिमालयी बुग्यालो में सम्पन्न होगी।
गौरतलब है कि नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा सिद्धपीठ कुरुड मंदिर से शुरू होती है। यहाँ से प्रस्थान कर राजराजेश्वरी बधाण की नंदा डोली बेदनी बुग्याल में, कुरुड दशोली की नंदा डोली बालपाटा बुग्याल और कुरुड बंड भुमियाल की डोली नरेला बुग्याल में नंदा सप्तमी/ अष्टमी के दिन पूजा अर्चना कर, नंदा को समौण भेंट कर लोकजात संपन्न होती है। नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा शुरू होने पर एक बार फिर पूरा सीमांत जनपद चमोली नंदामय हो गया है।
ये है बंड की नंदा डोली और छंतोली का कार्यक्रम!
23 अगस्त कुरूड़ से मंगरोली
24 अगस्त मंगरोली से नंदप्रयाग
25 अगस्त नंदप्रयाग से मैठाणा
26 अगस्त मैठाणा से क्षेत्रपाल
27 अगस्त क्षेत्रपाल से बिरही
28 अगस्त बिरही कौड़िया से बाटुला
29 अगस्त–बाटुला से-दिगोली
30 अगस्त -दिगोली से गडोरा.
31 अगस्त गडोरा से मल्ला अगथला
1 सितंबर मल्ला अगथला से नौरख
2 सितंबर नौराख से तल्ला अगथल्ला
3 सितंबर तल्ला अग्थल्ला से नंदा देवी (नंदोई) मंदिर, रैतोली
4 सितंबर रैतोली से कम्यार
5 सितंबर कम्यार से तल्ला किरुली
6 तल्ला किरूली से भूमियाल मंदिर कोंटा, मल्ला किरूली
7 -बंड़ भूमियाल मंदिर से गौणा गांव
8 गौना गांव से गौना डांडा
9 गौना डांडा से पंचगंगा
10 पंचगंगा से नरेला बुग्याल में नंदा सप्तमी के दिन माँ नंदा की पूजा अर्चना कर हिमालय को विदा कर वापस..