Home देश- विदेश खराब मौसम के चलते देवताल सीमा दर्शन यात्रा हुई स्थगित

खराब मौसम के चलते देवताल सीमा दर्शन यात्रा हुई स्थगित

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बदरीनाथ। श्री देवताल सीमा-दर्शन माणापास-नीतीपास लोकयात्रा समिति द्वारा प्रस्तावित बहुप्रतीक्षित देवताल यात्रा-2022 को मौसम की खराबी को देखते तथा सेना और जिला प्रशासन के सुझाव पर आज स्थगित कर दिया गया। लगभग सौ यात्रियों को देवताल यात्रा-2022 के लिए जिला प्रशासन की स्वीकृति मिली थी। लेकिन सेना ने जिला प्रशासन से मौसम को देखते हुए निर्णय लेने का सुझाव दिया था। मौसम विभाग द्वारा 9 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए माणा पास और नीती पास की यात्रा पर न जाने की सलाह दी गयी थी।

इस बीच आज प्रातःकाल देवताल सीमादर्शन पर जाने वाले सभी यात्री बदरीनाथ के माणा चौक पर यात्रा के प्रस्थान हेतु एकत्र हुए थे लेकिन लागातार बारिश और प्रशासन के सुझाव को देखते हुए यात्रा को स्थगित कर दिया। लोकयात्रा के संयोजक पूर्व मंत्री मोहनसिंह रावत ने सभी यात्रियों से विचार-विमर्श कर यात्रा स्थगित करने की घोषणा की।

इस यात्रा में भाग लेने के लिए अनेक यात्री 7 अक्टूबर की शाम को ही बदरीधाम पहुंच गए थे। भारत सरकार के पूर्व सचिब डा. कमल टावरी समेत, बदरी केदारनाथ मंदिर समिति के भास्कर प्रसाद डिमरी, देहरादून के चिकित्सक डा. श्रींनंद उनियाल, पत्रकारिता और जनसंचार के प्रोफेसर (डा.) सुभाष चन्द्र थलेडी, गोमती बचाओ आंदोलन लखनऊ के प्रवर्तक श्री राजेश राय, पूर्व डीएफओ श्रीप्रकाश शर्मा, स्थानीय पर्वतारोही बिमल पंवार, संजीव रौथाण, अभिषेक भंडारी, जोशीमठ के स्थानीय पर्यटन व्यवसायी अजय भट्ट, किसान मंच उत्तराखंड के प्रदेश संयोजक भोपाल सिंह चौधरी, श्रीमती मुन्नीदेवी रावत, नीती घाटी के सामाजिक कार्यकर्ता वचन सिंह खाती समेत अनेक यात्री उपस्थित थे।

लोकयात्रा समिति के संयोजक गांववासी ने बताया कि अब ये यात्रा भविष्य में जारी रहेगी, जिससे उत्तराखंड के सीमा क्षेत्रों में स्थित प्राचीन धर्मस्थलों से परिचित हो सकें साथ ही साथ स्थानीय लोगों की सीमा सुरक्षा में भी भूमिका बनी रहे।

इससे पहले शनिवार की शाम को बदरीनाथ मंदिर परिसर में समारोह पूर्वक मंदिर पदाधिकारियों ने देवताल यात्रा के लिए बदरी ध्वज समिति के संयोजक मोहनसिंह रावत गांववासी को सौंपा था। देवताल यात्रा 2015 से प्रतिवर्ष बदरी धाम के ध्वज की अगुवाई में सम्पन्न होती है। 18500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित माणा पास के निकट ही देवताल झील है जिसकी पौराणिक मान्यता है लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्द के बाद यह यात्रा खत्म हो गयी थी जिसे 2015 में गांववासी ने शुरू कराया और सेना, आईटीबीपी तथा जिला प्रशासन से इसकी अनुमति ली जो बराबर जारी है। माणा घाटी से माणा पास भारत की अंतिम सीमा रेखा है। यह मार्ग पौराणिक समय से कैलाश मानसरोवर जाने का रास्ता था। इस बार इस यात्रा को नीती घाटी के रिमखिम स्थित पार्वतीकुण्ड तक विस्तार दिया गया था जो कि नीती घाटी से सीमांत क्षेत्र है। यहां अनेक पौराणिक सिद्ध तीर्थस्थल हैं जो आज भी अपरिचित और अज्ञात हैं। यात्रा में
नीती गांव, गमशाली, बम्पा, मलारी गांव, नीती के टिम्मरसैण महादेव, नन्दादेवी, फैला देवता, पंचनाग, हीरादेवी, गणेश गंगा, पार्वती कुंड के दर्शन और पूजा-अर्चना का प्रसताव था, जिसे स्थानीय लोगों का पूरा सहयोग मिल रहा था।

होगी। आपके यहाँ पर पूजा-अर्चना होगी। आपके सहयोग व सहभागिता रहने की अपेक्षा है। इस यात्रा को 13 अक्टूबर को मलारी में सम्पन्न होना था।