Home धर्म संस्कृति पितृपक्ष शुरू होने से पूर्व जोशीमठ में मनाया गया फुलकोठ मेला,

पितृपक्ष शुरू होने से पूर्व जोशीमठ में मनाया गया फुलकोठ मेला,

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जोशीमठ: वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी उत्तराखंड के जोशीमठ में उसी तरह मनाई जा रही है जिस तरह पौराणिक काल से मनाई जाती आ रही है बताते चलें जोशीमठ में पित्र पक्ष से पूर्व जोशीमठ के नरसिंह मंदिर और जोशीमठ के रविग्राम में हर वर्ष पितृपक्ष शुरू होने से पूर्व महाशक्ति का आवाहन किया जाता है जिसके लिए उच्च हिमालय से ब्रह्मकमल के फूल मंगवाए जाते हैं तो गांव में सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण अपने घर से एक अखंड दीप दो दिनों तक यहां मंदिर में जलाए रखाता है यह अपने आप में अद्भुत मेला होता है,

परंपरा अनुसार जब शुंभ निशुंभ रक्तबीज मारा नहीं गया और उनके रक्त से बार-बार रक्त बीज उत्पन्न होता रहा ऐसे में सभी देवताओं द्वारा मां शक्ति का आह्वान किया गया और मां शक्ति ने जब अपना विकराल रूप दिखाया तो रक्तबीज का सबसे पहले खून खत्म किया उसके बाद माँशक्ति इतने विकराल रूप में थी कि उनके आगे भगवान शिव को लेटना पड़ा तब जाकर मां शक्ति का जब पैर उनके छोटे से बालक के रूप में शिव के छाती पर पड़ा तब शांत हुई यह मेला उसी के रूप में मनाया जाता है जो ब्रह्मकमल यहां पर लगाए गए हैं यह शिव का अवतार के रूप में देखा जाता है और अर्धनारीश्वर अवतार के रूप में यह मेला समाप्त होता है, वही जो दीपक जी के यहां पर एक एक ग्रामीण द्वारा जलाए जाते हैं जो कि अखंड दीप दो दिनों तक जलते हैं कहते हैं यह देवता लोग हैं जो मां शक्ति का आवाहन कर रहे हैं