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कल्याण सिंह सहित तीन अन्य शिक्षकों को मिला केदार सिंह रावत पर्यावरण पुरस्कार

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गोपेश्वर। वन विभाग के सभागार में गढ़वाल विश्व विद्यालय के वानिकी विभाग के तत्वाधान में आयोजित विकेंद्रीकृत वन प्रबंधन हेतु वन पंचायतों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रसिद्ध पर्यावरण विद कल्याण सिंह सहित पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले तीन अन्य शिक्षकों संकल्प अभियान के मनोज तिवाड़ी, समलोंण आंदोलन के वीरेंद्र दत्त गोदियाल और त्रिफला वन सृजक सतेंद्र भंडारी को केदार सिंह रावत पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया।
सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र द्वारा वर्ष 2014से स्थापित यह पुरस्कार केदार घाटी में चिपको आंदोलन के नायक रहे सर्वोदयी केदार सिंह रावत की स्मृति में प्रदान किया जाता है।
इस दौरान प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए हे नं ब गढ़वाल विश्वविद्यालय में वानिकी के विभागाध्यक्ष प्रो. सुंदरियाल हुए कहा कि वन सरपंचों का कौशल और क्षमता विकास करने से तथा वन उत्पादों को बडावा देकर उन्हें आजीविका से जोड़कर ही वनों प्रबंधन सही ढंग से हो सकता है। वन पंचायत परामार्शदात्री समिति के अध्यक्ष कैलाश खंडूरी ने कहा की हमारे वन सरपंच ही यतार्थ धरातल वनों के रक्षक हैं।वन विभाग को उनकी समस्याओं और मांगो का समय पर निराकरण करना चाहिए।
सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने कार्यक्रम में जानकारी देते हुए बताया कि न्यास द्वारा प्रति वर्ष केदार घाटी में चिपको आंदोलन के नायक रहे केदार सिंह रावत की स्मृति में प्रदान किया जाता है। इसके लिए न्यास द्वारा पुरस्कार चयन समिति का गठन किया गया है। अभी तक वर्ष 2014 से पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले09विशिष्ट व्यक्तियों को यह सम्मान प्रदान किया जा चुका है।
इस दौरान कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता हेम गैरोला,विकास केंद्र के समन्वयक विनय सेमवाल, पुरस्कार चयन समिति के सदस्य भरत सिंह रावत, हैरिटेज ऑफ गढ़वाल हिमालया के सचिव प्रदीप फर्सवाँण,महिला मंगल दल अध्यक्षा सुशीला सेमवाल, चंद्रकला बिष्ट,कुंती चौहान,मुन्नी भट्ट,सुधीर चमोली, जे.आर.एफ अक्षय सैनी,जे.आर.एफ आलोक सिंह रावत,रेखा राणा,गार्गी भट्ट, मोनिका सती, सोनम, मनोज रौथाण , नत्थीराम नौड़ियाल,दिनेश चंद्र खकरियाल ,श्री देवेन्द्र, बचन सिंह समेत क्षेत्र के विभिन्न वन पंचायतों के वनसरपंचो सहित वन कर्मी भी मौजूद थे।