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उत्तराखंड में भूसुधार कानून की मांग- डॉ योगेश धस्माना

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उत्तराखंड में युवाओं द्वारा भू कानूनों की सुधारों को लेकर चलाया जा रहा अभियान एक उचित दिशा में उठाया गया कदम है कश्मीर और हिमाचल की तर्ज पर भूमाफिया से कृषि भूमि को बचाने के उद्देश्य से संचालित या अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता है जब तक गैरसैण में नौकरशाह और राजनेताओं द्वारा क्रय की गई जमीन के सौदों को रद्द नहीं कर दिया जाता I क्योंकि पर्वतीय क्षेत्र में क्क्रय की गई जमीन के सौदों को रद्द नहीं करने कर दिया जाता क्योंकि पर्वतीय क्षेत्र में क्यूजा एक्ट के तहत 5 एकड़ से कम के काश्तकारों की जमीन को बेचा नहीं जा सकता है I लेकिन इस बीच हिमाचल सरकार ने भी गैर हिमाचल वासियों को 1972 के एक्ट में संशोधन करते हुए धारा 118 ए के अंतर्गत ऐसे सभी लोगों को हिमाचल में जमीन क्रय करने का अधिकार दे दिया है , जिनके बच्चे वहां पैदा हुए हैं , यद्यपि वे वहां के मूल निवासी नहीं है Iहिमाचल सरकार के कैबिनेट के इस फैसले के बाद हिमाचली जनता में भी जन संघर्ष के लिए नया उबाल देखने को मिल रहा हैI इस स्थिति में उत्तराखंड में भू सुधार कानूनों को लागू किया जाना और पर्वतीय क्षेत्र की सीमित कृषि भूमि को बचाने के लिए सभी दलों को एकजुट होकर मंच पर आना ही होगा I मेरा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी अनुरोध है कि वह उत्तराखंड में भूसुधार कानूनों को अपने घोषणापत्र में शामिल करते हुए एक संगठित प्रयास अवश्य करें I

डॉ योगेश धस्माना