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नंदा कैलाश को विदा!– कबारि आली मेरी लाटी तू अब, कू सुकोलू मेरू आंख्यों को पांणी

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गोपेश्वर!

आखिरकार बीते एक पखवाड़े से सीमांत जनपद चमोली के 8 विकासखंडो में आयोजित हिमालय की अधिष्टात्री देवी माँ नंदा का लोकोत्सव सोमबार को नंदा सप्तमी के अवसर पर मां नंदा को कैलाश विदा करनें के साथ ही सम्पन्न हो गया है।

हल्की बारिश और कोहरे की धुंध के बीच सोमबार को नंदा सप्तमी के अवसर पर बधाण की माँ नंदा राजराजेश्वरी की डोली सुबह गैरोली पातल से वेदनी बुग्याल पहुंची।

जहां पहुंचते ही मां नंदा की डोली ने पूरे वेदनी कुंड की तीन परिक्रमा की और अपने नियत स्थान पर विराजमान हो गयी। जिसके बाद वहां उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा माँ नंदा को अपनें साथ लाये समौण चूडी, बिंदी, चुनरी, मुंगरी, खाजा आदि को भेंट करके मां नंदा की पूजा अर्चना करके पौराणिक लोकगीतों और जागरों को गाकर माँ कैलाश के लिये विदा किया गया। मां नंदा के कैलाश विदाई के दृश्य को देखकर वहां उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखों से अविरल अश्रुओं की धारा बहनें लगी और वे फफक कर रोने लगे। क्योंकि अब एक साल बाद ही अपनी ध्याण नंदा से लोकजात में मिलन होगा। नंदा की डोली को कैलाश विदा करनें के पश्चात आज डोली रात्रि विश्राम हेतु बांक गांव पहुंची, जहां ग्रामीणों ने नंदा की डोली का स्वागत किया। इस अवसर पर पुजारी राजेश प्रसाद, सुभाष गौड, लक्ष्मी प्रसाद, बच्ची राम गौड, कालिका प्रसाद, कमलेश गौड
नरेश गौड, ठाकुर शौर्य रावत, लाटू पुजारी हीरा सिंह, खिलाप सिंह, हीरा सिंह गढ़वाली, पुष्कर सिंह, विक्की, भारती देवी, चंद्रा देवी, मीनाक्षी खाती, आदित्य शाह, मोहन गाइड, विमल मलासी सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।

वहीं दूसरी ओर दशोली कुरूड की नंदा डोली रामणी गांव से बालपाटा बुग्याल पहुंची। बालपाटा बुग्याल में माँ नंदा की पूजा अर्चना करनें के बाद माँ नंदा को कैलाश के लिए विदा किया गया। जबकि सोमबार सुबह को बंड की नंदा छंतोली पंचगंगा से नरेला बुग्याल पहुंची। जहां मां नंदा की पूजा अर्चना कर उन्हें समौण भेंट की गयी जिसके बाद माँ नंदा को कैलाश की ओर विदा किया गया।

अनूठी पहल!– वेदनी बुग्याल में हिमालय और बुग्यालों को बचानें के लिए युवाओं नें पोस्टर अभियान की शुरुआत..

नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में वेदनी बुग्याल पहुंचे कई युवाओं नें पोस्टरों के जरिए लोगों को हिमालय बुग्याल संरक्षण और संवर्धन का संदेश दिया। गढभूमि एडवेंचर, चेज हिमालय, पहाडी ट्रैवलर्स, मीनाकृति – द ऐपण प्रोजेक्ट, रूपकुण्ड ट्रैकिंग एजेंसी से जुड़े युवाओं नें बुग्याल बचाओ, बुग्याल में मानवीय हस्तक्षेप कम करनें, बुग्याल को पालीथीन मुक्त करनें, बुग्याल को आग से बचाने, बहुमूल्य जडी बूटियों के संरक्षण और संवर्धन, सहित विभिन्न स्लोगनो को लिखे हुये पोस्टरों के जरिए लोगों को हिमालय बचानें का संदेश दिया। सबने इस अनूठी पहल का स्वागत किया। सबको उम्मीद है कि आनें वाले समय में वेदनी बुग्याल से शुरू ये पोस्टर अभियान लोगों को हिमालय, पहाड़, बुग्याल के संरक्षण और संवर्धन के लिए जागरूक करेगा। हिमालय के जानकार और लोकसंस्कृतिकर्मी संजय चौहान कहते हैं कि सबका दायित्व है कि वे हिमालय के संरक्षण और संवर्धन में बढ चढकर हिस्सा ले। युवाओं की ये अनूठी पहल वास्तव में सराहनीय है। इस अवसर पर ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती, गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली, चेज हिमालय के सीईओ विमल मलासी, पहाडी ट्रैवलर्स के सीईओ आदित्य शाह समेत अन्य लोग उपस्थित थे।,

ठंड की आहट!

नंदा को कैलाश विदा करनें के पश्चात डोली और छंतोली वापस लौट आई है। डोली के वापस लौटने के साथ साथ ठंड भी शुरू हो गयी है। जिसके पीछे ये मान्यता है कि नंदा की लोकजात सम्पन्न होने के बाद जैसे ही डोली वापस लौटती है वैसे ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ठंड भी शुरू हो जाती है और भेड बकरी पालन करने वाले पालसी लोग भी धीरे-धीरे हिमालय से मैदानी इलाकों की ओर वापस लौटने लग जाते हैं। जबकि बुग्यालो में मौजूद हरी घास भी पीली होना शुरू हो जाती है। रविवार शाम से ही वेदनी बुग्याल और रूपकुण्ड, होमकुंड की पहाडियों पर बारिश शुरू हो गयी थी जो सोमबार दोपहर तक जारी थी । देर रात रूपकुण्ड में बर्फबारी भी हुई जिससे अचानक ठंड भी बढ गयी है।

नंदा के लोकोत्सव को देख अभिभूत हुयी कुमाऊं की ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती!

नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में वेदनी बुग्याल पहुंची कुमाऊं की ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती हिमालय की अधिष्टात्री देवी माँ नंदा के लोकोत्सव को देख अभिभूत हुयी। मीनाक्षी नें कहा की वो पहली बार नंदा देवी वार्षिक लोकजात यात्रा में सम्मिलित होने के लिए पहुंची है। उन्होने कहा कि वाण गांव में लाटू देवता से मिलन का दृश्य हो, चाहे महिलाओं का पारम्परिक परिधानों संग झोडा, झुमेलो लोकगीतों और जागरों से नंदा का स्वागत और कैलाश विदा करनें का दृश्य, नंदा के इस लोकोत्सव को चार चाँद लगाता है। वेदनी बुग्याल की सुंदरता और नंदा घुंघुटी के अप्रतिम सौंदर्य नें अभिभूत कर दिया है।

चलाया स्वच्छता अभियान, कूडा और प्लास्टिक एकत्रित करके वापस लाये युवा!

ट्रैकिंग से जुड़े गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली और उनकी टीम के सदस्यों और वन विभाग द्वारा नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा के दौरान वेदनी बुग्याल में साफ सफाई की और वहां पर कूडा और प्लास्टिक एकत्रित करके अपनें साथ वापस लाये। हीरा सिंह गढ़वाली का कहना है कि हमें बुग्यालो को हमेशा स्वच्छ बनाये रखना चाहिए।

वन विभाग की टीम भी रही मुस्तैद!

नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा को देखते हुये वन विभाग में मुस्तैद रहे। वन विभाग की पूरी टीम एक सप्ताह पहले ही वेदनी बुग्याल पहुंच गयी थी। वन विभाग नें श्रद्धालुओं को बुग्याल में स्वच्छ रखनें और बुग्याल बचानें का आग्रह किया। वन विभाग के उप वन क्षेत्राधिकारी त्रिलोक सिंह बिष्ट, बासबबानंद चमोला बन बीट अधिकारी, प्रमोद देवराडी बन बीट अधिकारी भी मौजूद थे।