- 15 वर्षों में छात्रावास के निर्माण की लागत हुई दोगुनी
- 22 लाख के प्रस्तावित भवन की लागत पहुंची 50 लाख
गोपेश्वर। चमोली जिला मुख्यालय पर सरकार और सिस्टम की उच्च शिक्षा की बेहतरी और बेटियों की सुरक्षा के दावों को 15 वर्षों से अधूरा पड़ा छात्रा छात्रावास मुंह चिढा रहा है। जबकि छात्रावास निर्माण को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और हरीश रावत की ओर से अपने-अपने कार्यकाल में घोषणा भी की गई। बावजूद इसके यहां अभी तक भवन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। ऐसे में श्रीदेव सुमन विवि के परिसर में आधा-अधूरा भवन अब खंडहर में तब्दील होने लगा है।
बता दें, वर्तमान में श्रीदेव सुमन विवि के कैम्पस के रुप में प्रचारित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से ही बेहतर महाविद्यालयों में सुमार रहा है। ऐसे में महाविद्यालय में गोपेश्वर में चमोली के साथ ही अन्य जनपदों के छात्र-छात्राएं यहां उच्च शिक्षा की पढाई के लिये पहुंचते थे। ऐसे में यहां महाविद्यालय की ओर से छात्रों के लिये जहां परिसर में दो छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। वहीं छात्रा के आवास की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐेसे में यहां वर्ष 2004-05 में यूजीसी ने 22 लाख की लागत से छात्रा हास्टल निर्माण की स्वीकृति प्रदान की। छात्रावास निर्माण का जिम्मा यूपी निर्माण निगम दिया गया और निगम ने तीन वर्षों में यहाँ 19 लाख की धनराशि खर्च किया गया। जिसके बाद निगन के अधिकारियों ने बजट की कमी बताते हुए निर्माण कार्य बंद कर दिया। स्थानीय लोगों और छात्रों के दबाव के बाद निगम द्वारा वर्ष 2007-08 में भवन निर्माण के लिये 26 लाख का रिवाइज स्टीमेट शासन को भेजा गया। लेकिन संशोधित आंकलन को स्वीकृति न मिलने चलते वर्तमान तक से छात्रावास का निर्माण कार्य पुनः शुरु नहीं हो सका। जबकि 15 वर्षों के अंतराल में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और हरीश रावत द्वारा छात्रा हास्टल के निर्माण पूर्ण करवाने की घोषणा की गई। बावजूद इसके वर्तमान तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में अब महाविद्यालय प्रशासन की ओर से छात्रावास के निर्माण के लिये पुनः करीब 50 लाख को रिवाइज स्टीमेट शासन को भेजा गया है। ऐसे में सिस्टम की ओर सरकारी धन के दुरुपयोग का सहज ही लगाया जा सकता है।
गोपेश्वर महाविद्यालय में छात्राओं को आवासीय व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिये यूजीसी की ओर से भले ही छात्रावास को स्वीकृति प्रदान की गई थी। लेकिन यूपी निर्माण निगम के अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण 22 लाख के प्रस्तावित भवन की लागत 50 लाख पहुंच गई है। जो खुलेतौर पर निर्माण एजेंसी की ओर से सरकारी धन का दुरुपयोग है।
अंकोला पुरोहित, अध्यक्ष, प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल, गोपेश्वर।
गोपेश्वर महाविद्यालय में निर्माणाधीन छात्रा छात्रावास का निर्माण लम्बे समय से बंद पड़ा था। जिसके शासन की स्वीकृति के बाद पुनः 50 लाख का आंकलन भेजा गया है। बजट की स्वीकृति मिलते ही भवन निर्माण कार्य पूर्ण करवाया जाएगा।
प्रोफेसर आरके गुप्ता, प्राचार्य, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर।
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