Home उत्तराखंड बर्फ से ढका तुंगनाथ मन्दिर का सुंदर।दृश्य

बर्फ से ढका तुंगनाथ मन्दिर का सुंदर।दृश्य

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बर्फबारी का आनंद उठाने तुंगनाथ धाम पहुंच रहे पर्यटक
कपाट बंद होने के बावजूद मंदिर में पहुंच रहे सैलानी
तुंगनाथ मंदिर में जमी है पांच से छः फीट तक बर्फ
रुद्रप्रयाग। तृतीय केदार से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ धाम बर्फबारी से ढक चुका है। यहां मंदिर में पांच से छः फीट तक बर्फ जमी है। बर्फबारी का आनंद उठाने के लिए सैकड़ों की संख्या में पर्यटक हर दिन यहां पहुंच रहे हैं। हालांकि तुंगनाथ भगवान के कपाट बंद है, बावजूद इसके पर्यटक यहां पहुंचकर बर्फबारी का आनंद लेकर बाबा का आशीर्वाद ले रहे हैं।


बता दें कि समुद्रतल से तेरह हजार फुट की ऊंचाई पर तुंगनाथ मंदिर है, जो पंचकेदारों में एक केदार है और सबसे ऊंचाई पर भी स्थित है। यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना माना जाता है और यहां भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। चोपता राजमार्ग से तुंगनाथ मंदिर तीन किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि पार्वती माता ने शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी। तुंगनाथ धाम से डेढ़ किमी की चढ़ाई चढ़ने के बाद चैदह हजार फीट पर चंद्रशिला नामक चोटी है। जहां पहुंचकर मानो स्वर्ग की प्राप्ति होने लगती है।


इन दिनों तुंगनाथ धाम बर्फ से ढका हुआ है। यहां पर पांच से छः फीट तक बर्फ जम चुकी है। चोपता बाजार से तुंगनाथ धाम तक रास्ते में बर्फ ही बर्फ जमी पड़ी है, जिससे होकर पर्यटक तुंगनाथ पहुंच रहे हैं। तुंगनाथ धाम पहुंचना इतना आसान नहीं है। यहां पहुंचने के लिए खासी सावधानी बरतने की जरूरत है। तुंगनाथ धाम पहुंचने के लिए बर्फ के रास्ते से होकर गुजरना पड़ रहा है, जो काफी कठिन होता है। जनवरी, फरवरी और मार्च के महीनों में आमतौर पर बर्फ की चादर ओढ़े इस स्थान की सुंदरता जुलाई व अगस्त के महीनों में देखते ही बनती है। इन महीनों में यहां मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है। इसीलिए पर्यटक इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से करते हैं। सबसे विशेष बात यह है कि पूरे गढ़वाल क्षेत्र में ये अकेला क्षेत्र है, जहां श्रद्धालु और पर्यटक आसानी से पहुंच सकते हैं। तुंगनाथ धाम के कपाट बंद होने के बावजूद भी सैकड़ों की संख्या में पर्यटक हर दिन यहां पहुंच रहे हैं और प्रकृति का आनंद ले रहे हैं।