जोशीमठ: सीमान्त गांवों के ग्रामीण इन दिनों अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुसार भारत तिब्बत सीमा पर स्थित पार्वती कुण्ड में जाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं।
निति मलारी घाटी के ग्रामीण पुराने समय में भारत तिब्बत व्यापार के लिए प्रमुख माध्यम हुआ करते थे इस दौरान प्राचीन मंदिर पार्वती कुण्ड में पूजा अर्चना करते थे, भारत चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बाद जहंा व्यापार बंद हुआ वहीं दूसरी ओर सीमा पर स्थानीय लोगों की आवाजाही भी बंद हो गई एक बार फिर से सीमा के समीप भारतीय गांव नीति मलारी घाटी से ग्रामीणों ने पूजा अर्चना शुरू की है जिससे ग्रामीणों में खुशी है। ग्राम प्रधान मलारी मंगल सिंह का कहना है कि भारत सरकार को भारत तिब्बत सीमा से लगे पार्वती कुण्ड देवताल जैसे धार्मिेक और पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों की आवाजाही के लिए अधिक से अधिक संख्या में अनुमति देनी चाहिए जिससे देशवासी सीमा को भली भांति जान पायेंगे और पर्यटन व्यवसाय को भी बढावा मिलेगा।
स्थानीय युवा लक्षमण सिंह बुटोला कहते हैं बाघा बॉडर पर देखकर अपने देश के प्रति एक अलग सा प्यार उमडता है वेसे ही भारत तिब्बत से लगे बॉडर पर भी सीमा दर्शन कार्यक्रम करवाये जाय ताकि हमारे देश की सीमाओं के बार में स्थानीय लोग जा सकें और द्वितीय रक्षा पंक्ति कहे जाने वाले सीमान्त गांवों में पर्यटन के अवसर पैदा हों और गांवों से पलायन रूक सके।
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