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यहां डोली के बजाय घोड़े में क्यों विदा होती है दुल्हन

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चमोली :
पालकी में होके
सवार चली रे में तो अपने साजन के द्वार चली रे
दुल्हन हो और डोली का जिक्र न आये तो सब कुछ अधूरा लगता है
जनपद चमोली में विकास्सखंड दशोली के दूरस्थ गांव इराणी में दुल्हन डोली में नहीं घोड़े में सवार होकर ससुराल जाती हैं

किसी भी लड़की का दुल्हन बनकर अपने माता पिता के घर से विदा होना बहुत ही भावनात्मक होता है लेकिन शादी की परम्पराओ के निर्वाहन में हर दुल्हन का सपना होता की उसकी डोली /पालकी में विदाई होगी और होती भी हैं लेकिन चमोली के ईरानी गांव की दुल्हनो का डोली में विदाई का सपना कभी पूरा नहीं हो पाता क्योकि यहां दुल्हन घोड़े में विदा होती हैं

इसके पीछे के कारण के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिस की तो ईरानी निवासी दिनेश नेगी, ग्राम प्रधान मोहन नेगी ने बताया कि यह क्षेत्र माँ नंदा का क्षेत्र है यहाँ माता को
सर्वोच्च माना जाता है और डोली माता की जगह मानी जाती है इसी लिए यहां पर किसी भी दुल्हन को डोली में विदा नहीं किया जाता है और घोड़े मै ही दुल्हन विदा होती है

दूसरे परिपेक्ष में ऐसा भी बताया जाता है की दूरस्थ क्षेत्र सड़क की सुविधाएं न होने के चलते दुल्हन को एक गांव से
दूसरे तक डोली में ले जाना सम्भव नहीं होता है इस लिए भी दुल्हन को डोली के बजाय घोड़े में सवार क कर विदा किया जाता है
आज भी इन
धार्मिक परम्पराओ का निर्वाहन करते हुए यहां की दुल्हने डोली के बजाय घोड़े में विदा होती है