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भारत-चीन की तल्खियों का चमोली के सीमा क्षेत्र में भी दिख रहा असर

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  • सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ रही सैन्य आवाजाही और अभ्यास जैसी गतिविधियां

कृष्ण कुमार सेमवाल

चमोली। भारत-चीन के बीच बड़ी तल्खियां और उससे उपजे तनाव का असर उत्तराखंड में चमोली के सीमावर्ती क्षेत्रां पर देखने को मिल रहा है। यहां सीमा क्षेत्र में सैन्य आवाजाही व सैन्य अभ्यास जैसी गतिविधियां बढ गई हैं। पिछले दिनां जिले के गौचर में पैराट्रूपर्स व वायुसेना के लडाकू विमान अभ्यास करते हुये दिखाई दिये। सीमावर्ती इलाके बाडाहोती पर चीन अपना अवैध दावा करता रहा है। जिसको भारत हमेशा तथ्यों के साथ नकारता रहा है। पूर्व में भी चीन इस इलाके में कई बार अवैध घुसपैठ कर चुका है। यहाँ सुरक्षा और चौकसी की जिम्मेदारी आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल) के पास है। चमोली जिले से चीन (तिब्बत) की सीमा दो क्षेत्रों से लगती है। पहला बदरीनाथ से माणा पास और दूसरा मलारी से बाड़ाहोती।
बाडाहोती चीन के कब्जे वाले तिब्बत के इलाके से लगा हुआ लगभग 12 वर्ग किलोमीटर का हरी मखमली घास का बुग्याल (मैदान) है। 1960 से पूर्व इसी रास्ते से भारत और तिब्बत के बीच व्यापार भी होता था। इस व्यापार के लिये बाडाहोती दोनां देशों के बीच एक बड़ी व्यापारिक मंडी हुआ करती थी। 2017 में इस इलाके में चीन की ओर से हुयी सैनिको और हैलीकॉप्टरों की हलचल के बाद हमारे सुरक्षा बलो ने अतिरिक्त सुरक्षा उपाय बढाये थे। तनजुन ला बड़ाहोती से तीन किमी आगे चीन सीमा की तरफ है। 1956 मे चीनी सेना बड़ाहोती तक घुस गई थी। इसके बाद भारत और चीन सरकार के हस्तक्षेप के बाद दोनों सेनाएं पीछे हटी थी। तब से यह क्षेत्र नो मैन्स लैंड घोषित किया गया था। हालांकि यहां आईटीबीपी के जवानो की चौकन्नी निगाहें हर वक्त पहरा देती रहती हैं। इस बीच हाल ही में सीमा सड़क संगठन ने चीन सीमा पर अंतिम चेक पोस्ट तक भी सडक पहुंचा कर एक महत्वपूर्ण सफलता अपने नाम दर्ज करायी है। सडक बनने से अब सैन्य उपकरण और रसद आसानी से पहुंचायी जा सकेगी।

चीन ने कब-कब की गुस्ताखी…

  • वर्ष 2014 : सीमा क्षेत्र में अंतिम चौकी रिमखिम के पास चीनी हेलीकॉप्टर देर रात तक आसमान में मंडराता रहा।
  • वर्ष 2015 : चीनी सैनिकों की ओर से भारतीय सीमा में घुसकर भारतीय चरवाहों के खाद्यान्न को नष्ट कर दिया गया था।
  • वर्ष 2016 : सीमा क्षेत्र के निरीक्षण के लिए गई चमोली जिला प्रशासन की टीम का चीनी सैनिकों से सामना हुआ।
  • 3 जून 2017 : सीमा क्षेत्र बाड़ाहोती में दो चीनी हेलीकॉप्टर करीब तीन मिनट तक आसमान में मंडराते रहे।
  • 25 जुलाई 2017 : सीमा क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के करीब 200 जवान भारत की सीमा में करीब एक किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे।
  • इन सब घटनाओ के बाद यहा 2017 मे आईटीबीपी केअनुरोध पर वन विभाग द्वारा 2 हैक्टेयर भूमि कैम्प बनाने के लिये हस्तान्तरित की गयी

 

बदरीनाथ विधायक सीमा के खाली होते गांवों पर जता चुके चिंता
सरकार से कर चुके सीमा दर्शन के जरिये सीमा क्षेत्र में रोजगार सृजन की मांग
चमोली। भारत चीन के युद्ध के बाद इस रास्ते दोनो देशो के बीच होने वाला व्यापार बंद हो गया और सीमावर्ती क्षेत्रो मे स्थानीय भोटिया जनजातियों के लोगो की आवाजाही बंद हो गयी हालांकी अब भी भोटिया जनजाति के लोग छः माह ग्रीष्मकाल मे प्रवास हेतु अपने सीमावर्ती गांवो की ओर जाते है एवं भेड़-बकरी पालन से जुडे लोग भी अन्तिम सीमावर्ती क्षेत्र तक अपने जानवरो को चुगाने ले जाते है। समय के साथ इस गतिविधियां मे भी कमी आयी है और सीमा के कई गांव विरान होने के कगार पर हैं।


इस सब के बीच बद्रीनाथ विधायक महेन्द भट्ट जो की चीन सीमा से लगी बद्रीनाथ विधान सभा से विधायक भी है। उन्हांने सीमा दर्शन कार्यक्रम चलाने की मुहिम चलाई है विधायक महेन्द्र भट्ट का कहना है की सीमादर्शन कार्यक्रम से इस यात्रा मार्ग के स्थानीय बेरोजगार युवाओं को पर्यटन बढने से रोजगार मिलेगा व पलायन पर रोक लगेगी वही दूसरी ओर ये सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा इस सम्बंध मे उन्होने केन्द्र सरकार को भी अपना एक अनुरोध भेजा है।