चमोली: ऐतिहासिक गौचर मेले में वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रीय सहारा के जनपद चमोली ब्यूरो चीफ रजपाल बिष्ट को पं. गोविन्द प्रसाद नौटियाल पत्रकार सम्मान 2023 से सम्मानित किया जायेगा। 14 नवंबर को गौचर मेले के शुभारंभ के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा रजपाल बिष्ट को गोविन्द प्रसाद नौटियाल पत्रकार सम्मान 2023 प्रदान किया जायेगा। रजपाल बिष्ट को पत्रकारिता के लिए अब तक दो दर्जन से अधिक सम्मान मिल चुके हैं, जो उनकी 4 दशकों की जनसरोकारों की पत्रकारिता की सार्थकता को चरितार्थ करती है।
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार रजपाल बिष्ट के पास पत्रकारिता का अपार और बेहद लंबा अनुभव है। चार दशको की पत्रकारिता का उनका चमकदार कैरियर हर पत्रकार के लिए प्रेरणास्रोत है। वे युवा पत्रकारों के लिए खुद एक संस्थान है। उन्होंने जनसरोकारो की पत्रकारिता को नया मुकाम दिया। पर्यावरण से लेकर संस्कृति, सामाजिक सरोकारों से लेकर सदूरवर्ती गांव की कोई खबर हो या फिर राजनैतिक गलियारों की खबर, हर जगह उनकी पैनी निगाहें होती हैं। शायद ही कोई ऐसा विषय हो जिस पर रजपाल बिष्ट नें अपनी कलम न चलाई हो। आज सैकड़ों लोग इनकी लेखनी के मुरीद हैं। मुझे आज भी गर्व है कि रजपाल बिष्ट जी से मुझे स्वयं पत्रकारिता की समझ और बारिकीयां सीखने का मौका मिला। हर विषय और क्षेत्र पर उनकी मजबूत पकड़ उन्हें दूसरों से अलग कतार में खड़ी करती है। पत्रकारिता में 4 दशक के लंबे अनुभव के धनी रजपाल बिष्ट जी नें पत्रकारिता की शुरुआत 1982 में स्थानीय उत्तरी ध्रुव,देव भूमि से की। इसके बाद नवभारत टाइम्स , जन सत्ता, अमर उजाला, दैनिक जागरण के माध्यम से जनसरोकारो की पत्रकारिता के मिशन को आगे बढ़ाया। हिमाचल से लेकर उत्तराखंड तक उन्होने अपनी बेजोड पत्रकारिता का लोहा मनवाया है। वर्तमान में रजपाल बिष्ट राष्ट्रीय सहारा चमोली के वरिष्ठ पत्राकर हैं।
विपरीत परिस्थितयों में उत्तरकाशी भूकंप, चमोली भूकंप, आपदाओं पर जमीनी रिपोर्टिंग, ऑल इंडिया रेडियो में उनकी खबर को समाचार प्रसारण में पढा जाता था।
रजपाल बिष्ट की जमीन और हकीकत को बंया करती रिपोर्टिंग हर किसी को बेहद पसंद आती थी। जिसकी बानगी 1991 में नवभारत टाइम्स के लिए उन्हें गोपेश्वर से उत्तरकाशी की रिपोर्टिंग का जिम्मा सौंपा गया था। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वे दिन भर भूकंप से प्रभावित खबरों को एकत्रित करके उसको नयी टिहरी से फैक्स के माध्यम से भेजते थे। और अगले दिन अखबार में खबर प्रकाशित होती थी। उनकी खबरों की प्रमाणिकता इतनी अधिक थी की उनकी खबर को लेकर ऑल इंडिया रेडियो आकाशवाणी से हर रोज सुबह 8 बजे के समाचार प्रसारण उत्तरकाशी की भूकंप की खबरों को नवभारत टाइम्स में प्रकाशित रजपाल बिष्ट की रिपोर्ट की खबर को पढा जाता था। ये सिलसिला लगातार 10 दिनो तक अनवरत रूप से जारी रहा। इसके अलावा चमोली भूकंप से लेकर आपदाओं की धरातलीय रिपोर्टिंग उनकी बेजोड पत्रकारिता की बानगी भर है, असल में वे पत्रकारिता के सही मायनों में शोध संस्थान हैं।
लेखों में पर्यावरण की चिंता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश!
चार दशक की अपनी पत्रकारिता में रजपाल बिष्ट नें जल जंगल जमीन के लिए हजारों लेख लिखे। उनके लेखों में पर्यावरण की चिंता साफ देखी जा सकती है। उनके लेख लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का संदेश देती है। उन्होने पर्यावरण, जल – जंगल से जुडे हर खबर को सदैव प्रमुखता दी। उन्होने पर्यावरण संरक्षण के प्रसिद्ध चिपको आंदोलन को अपने लेखो के जरिए नयी पहचान दिलाई।
पहाड़ के हितैषी!
पहाड़ और रजपाल बिष्ट जी एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से पहाड़ की पीड़ा और आवाज को देश दुनिया तक पहुंचाया। सीमांत जनपद चमोली मे रहकर भी देश की राजधानी तक इनकी खबरें लोगों को पहाड़ के प्रति सोचने को मजबूर कर देती है। पिछले 4 दशको में वे जनसरोकारों की पत्रकारिता के हिमालय हैं।