देहरादून।
विश्व लायन दिवस के अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक कुमाऊँ डॉ.धीरज पांडे को एन के जोशी वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सी.पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग राज्यों में कार्य कर चुके पूर्व वनाधिकारी और पर्यावरण और वन संरक्षण के लिए कार्य कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ उत्तराखंड वन महकमे के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
देश के पहले भारतीय वध सेवा के अधिकारी एन के जोशी की स्मृति में आयोजित इस समारोह में डा धीरज पांडे को वन एवं वन्य जीवों के संवर्द्धन के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिए वर्ष 2023 का प्रतिष्ठित निर्मल जोशी वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार प्रदान किया गया।
ग्राफिक एरा पर्वतीय विश्वविद्यालय ( Graphic era hill university) के प्रो के पी नौटियाल सभागार में आयोजित इस समारोह में चिपको आंदोलन के और प्रणेता प्रख्यात पर्यावरण विद चण्डी प्रसाद भट्ट की उपस्थिति में डॉ धीरज पाण्डे को पुरस्कार दिया गया। समारोह को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आनलाइन संबोधित किया। खचाखच भरे आडिटोरियम में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच वन महकमे के मुखिया डा धनंजय मोहन और डा समीर सिन्हा तथा श्रीमती आशा जोशी ने संयुक्त रूप से सम्मानित किया।
पुरुस्कार के तहत प्रशश्ति पत्र और मेडल प्रदान किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी वर्चुअल माध्यम संबोधित करते हुए कहा कि, हमारी देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति में वन एवं वन्यजीवों का संरक्षण हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है।
यहीं से वनों के संरक्षण का ऐतिहासिक आंदोलन चिपको और वन्य जीवों के संरक्षण हेतु प्रोजैक्ट टाइगर की शुरुआत हुई जिसकी गिनती विश्व के संरक्षण कार्यक्रमों में होती है जो हम सब के लिए गर्व की बात है। संरक्षण की सफलता का दूसरा पक्ष मानव एवं वन्य जीव संघर्ष के रूप में भी हमारे सामने आता है।
हमारी सरकार इसके निवारण हेतु कृतसंकल्प है। इसके लिए एक विशेष प्रकोष्ठ की भी स्थापना की गई है।
उन्होंने कहा कि है हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने इकोनामी और इकोलाजी को साथ लेकर चलने का जो आव्हान किया है, हमें उसे आगे लेके जाना है।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि,,उत्तराखंड ने पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देते हुए उत्तराखंड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक( जीईपी) की स्थापना की है।
उत्तराखंड इस प्रकार के सूचकांक को स्थापित करने वाला देश का पहला राज्य है।
डॉ धीरज पाण्डे को पुरस्कार प्राप्त करने के साथ ही उनके कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा केदारनाथ, मसूरी और कार्बेट में पदस्थ रहने के दौरान इनके कार्यो में प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, जहाँ इन्होंने नियमों और कानूनों में अमल के प्रति अपनी उत्कृष्टता प्रदर्शित कर साबित की है।
इस दौरान कार्यक्रम को मुख्य अथिति के रूप में संबोधित करते हुए चिपको प्रणेता चंडी प्रसाद भट्ट ने हिमालय क्षेत्र में बड़ती आपदा की घटनाओ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिमालय हि की भूगर्भिक संरचना को ध्यान में रखकर ही योजनाओ का प्रारूप तैयार कर निर्माण कार्य किये जाने चाहिए।
महाविद्यालय के कुलपति प्रो. जशोला ने ग्राफिक एरा विश्व विद्यालय के गठन से लेकर अब तक की शैक्षणिक यात्रा की विस्तार से जानकारी दी।
वन विभाग के मुखिया डा. धनंजय मोहन ने कहा चिपको आंदोलन ने औद्योगिक क्रांति के उस दौर में संपूर्ण विश्व को पर्यावरण के प्रति गंभीरता से सोचने के लिए मजबूर किया जब इस संवेदनशील विषय पर बमुश्किल ही कोई बात करता था।
उल्लेखनीय है कि सीपी.भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र द्वारा भारत के पहले वनाधिकारी और चिपको आंदोलन की रिपोर्ट लिखने और उसकी संस्तुतियों को लागू करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले भारतीय वन सेवा के पहले अधिकारी रहे निर्मल कुमार जोशी की स्मृति में वन्य जीवों के संक्षण में उल्लेखनीय कार्य करने वाले वनविदो और वनकर्मियों को प्रदान किया जाता है।
कार्यक्रम में डा.धनंजय मोहन प्रमुख मुख्य वन संरक्षक एव हेड आंफ फारेस्ट, उत्तराखंड, डा॰ समीर सिन्हा प्रमुख मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव उत्तराखंड, डा.धीरज पाण्डे पुरस्कार प्राप्तकर्ता, एवं मुख्य वन संरक्षक , स्व. निर्मल जोशी की धर्मपत्नी श्रीमति आशा जोशी,डा.सुरेश गैरोला अवकाश प्राप्त डीजी इंडियन काउंसिल आफ फारेस्ट्री रिसर्च , एम सी घिल्डियाल
पूर्व प्रमुख मुख्य वन संरक्षक , डी. सी खंडूड़ी पूर्व प्रमुख वन संरक्षक
हिमाचल प्रदेश, बी.के बहुगुणा
पूर्व महानिदेशक इंडियन काउंसिल आफ फारेस्ट्री रिसर्च वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, डा. जे.के रावत पूर्व निदेशक
एफ.आर.आई, आई.एस.नेगी
पूर्व वनाधिकारी, त्रिलोक सिंह बिष्ट
पूर्व पुरुस्कार प्राप्त कर्ता,श्च्चिदानंद भारती सहित शहर के कई गणमान्य लोग और महाविद्यालय के छात्र- छात्राएं मौजूद थे। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन संचालन डॉ नुपुर दुबे ने किया।