संजय चौहान की रिपोर्ट…….
गोपेश्वर। सीमांत जनपद चमोली में पर्यटन की दृष्टि से कई ऐसे गुमनाम पर्यटन स्थल है जो आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं। यदि इन गुमनाम पर्यटक स्थलों को सुनियोजित तरीके से विकसित किया जाय तो ये आनें वाले समय में रोजगार के अवसरों का सृजन करके पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। आज आपको हिमालय के ऐसे ही एक गुमनाम और खूबसूरत ताल से रूबरू करवाते हैं। जहां पर्यटन की असीमित संभावनाएं हैं। प्रकृति की इस अनमोल नेमत को देखकर आप भी कह उठेंगे वाहहहहहह..
सीमांत जनपद चमोली की निजमुला घाटी की प्राकृतिक सुंदरता बरसों से बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है। प्रकृति नें इस घाटी पर बेपनाह सुंदरता की दौलत लुटाई है। आज भी इस घाटी के कई जगह देश दुनिया की नजरों से दूर है। निजमुला घाटी में मौजूद बेपनाह सुंदरता की बानगी सप्तकुंड, तडाग ताल, दुर्मी ताल, पीपलकोटी-किरूली – गौणा- तडाग ताल- रामणी से लेकर रामणी- झींझी- पाणा- ईराणी- कुँआरी पास -तपोवन, बिरही- निजमुला- पगना- झींझी- बालपाटा ट्रैकिंग रूट को यदि विकसित करने की कयावद की जाय तो इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा अपितु स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेगा।
गौरतलब है कि चमोली की निजमुला घाटी में निजमुला से 8 किमी की दूरी पर स्थित है बेपनाह सुंदरता की बानगी तडाग ताल। यहाँ से प्रकृति का अभिभूत कर देने वाला अप्रतिम सौंदर्य हर किसी को भाता है। तडाग ताल कुदरत की अनमोल नेमत है। यहाँ से हिमालय की हिमाच्छादित शिखर और पशु पक्षियों का कलरव हर किसी को आनंदित करता है। प्रत्येक साल आयोजित होने वाली नंदा की वार्षिक लोकजात में बंड की नंदा छंतोली भी तडाग ताल से होकर हिमालय नरेला बुग्याल को प्रस्थान करती है। बंड नंदा की छंतोली के पुजारी प्रकाश गौड कहते हैं कि नंदा लोकजात में नरेला बुग्याल जाते समय तडाग ताल की सुन्दरता को देखकर वे अभिभूत हैं। इतना सुंदर ताल आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं। सरकार को चाहिए की इसको विकसित करने के लिए धरातलीय प्रयास किये जाय।
तडाग ताल में ये है संभावनाएं!
तडाग ताल को विकसित करने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा अपितु यहां मत्स्य पालन, फूल उत्पादन, बर्ड वाचिंग, साहसिक पर्यटन, माउनटेनिंग, योग ध्यान केन्द्र की भी अपार संभावनाएं हैं। तडाग ताल पर्यटकों के लिए न्यू टूरिस्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकता है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है तडाग ताल!
ऋषिकेश से चमोली तक वाहन द्वारा चमोली से बिरही -निजमुला तक वाहन द्वारा निजमुला से तडाग ताल पैदल 8 किमी तडाग ताल से रामणी 5 किमी पैदल रामणी से घाट- नंदप्रयाग वाहन द्वारा नंदप्रयाग से ऋषिकेश वाहन द्वारा
ईराणी गांव के ग्राम प्रधान और ग्राम प्रधान संगठन उत्तराखंड के महामंत्री मोहन नेगी बताते हैं कि निजमुला घाटी के दर्जनों गांवों के लोग बरसों से तडाग ताल को पर्यटन से जोडने की मांग करते आ रहें हैं। हमारी कोशिश है कि तडाग ताल उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बना पानें में सफल हो सकें। वहीं बद्रीनाथ विधानसभा के विधायक महेंद्र भट्ट नें तडाग ताल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेद्र सिंह रावत को पत्र लिखा है। जिसके क्रम में विगत दिनों पर्यटन विभाग के अधिकारियों द्वारा तडाग ताल का स्थलीय निरीक्षण किया गया और यहाँ पर्यटन की संभावनाओ को तलाशा।
वास्तव में देखा जाए तो उत्तराखंड में पर्यटन के लिए असीमित संभावनाएं हैं। यहाँ तडाग ताल जैसे अनगिनत गुमनाम स्थल है जो आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं। यदि ऐसे स्थानों को पर्यटन से जोडने को लेकर धरातलीय योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जाय तो आशा और उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में निजमुला घाटी का तडाग ताल पर्यटन के मानचित्र पर होगा और ये घाटी पर्यटकों के लिए किसी ऐशगाह से कम नहीं होगी।