राजनीति में सरल होने की लकीर खींच गए डॉ मैखुरी
टीम गढ़वाल हैरिटेज
गोपेश्वर। मैखुरा गाँव के सेरागाड़ तोक में एक साधारण परिवार में जन्मे डॉक्टर अनसूया प्रसाद मैखुरी के निधन से चमोली जिले की राजनीति के मृदुभाषी, सरल और अनुकरणीय के एक व्यक्तित्व का चला जाना, बड़ी क्षति है। सत्ता के बिना या सत्ताशीन होते हुए सरल होने की एक लकीर खींच गए मैखुरी का राजनैतिक जीवन वर्ष 1981 में छात्र राजनीति से शुरू हुआ। जिसके बाद 1988 में वे ग्राम पंचायत मैखुरा के ग्राम प्रधान बने, इस कार्यकाल के दौरान वे कर्णप्रयाग के ब्लाक प्रमुख बने। वंही अपनी जन्म भूमि में सक्रिय रहते हुए अपने गांव के जूनियर हाईस्कूल के प्रबंधक रहे।
उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता केदार सिंह फोनिया को शिकस्त दी और बद्रीनाथ विधानसभा के विधायक चुने गए। इस दौरान वर्ष 2007 तक विधायक रहने के साथ ही उन्हें सरकार की ओर से चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष और बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। वर्ष 2012 में मैखुरी को कांग्रेस की ओर से कर्णप्रयाग विधानसभा से प्रत्याशी बनाया गया। इन चुनाव में जीत दर्ज कर मैखुरी दूसरी बार उत्तराखण्ड की विधानसभा पहुंचे। इस बार पार्टी की ओर से उनकी क्षमता और स्वभाव को देखते हुए विधानसभ उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।जिसका निर्वहन करते हुए उन्होंने जँहा गैरसैंण राजधानी निर्माण की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किये, वंही सिमली महिला बेस चिकित्सालय जैसी दूरगामी योजना का कार्य भी शुरू करवाया। ऐसे में 64 साल की आयु में उनके निधन से चमोली जिले के साथ ही राज्य में राजनैतिक व सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग आहत हैं। सोशल मीडिया से लेकर विभिन्न माध्यमों से लोग उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं।