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नशे में लिप्त बच्चों के पुनर्वास को लेकर बाल अधिकार सरक्षण आयोग ने बैठक आयोजित की

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देहरादून: उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष महोदया डॉ गीता खन्ना द्वारा बाल श्रमिकों एवं नशें में लिप्त बच्चों के लिये पुर्नवास किये जाने के सम्बन्ध में सचिव स्तरीय विभागीय अधिकारियों के साथ सचिवालय सभागार में समन्वयन बैठक की गई। बैठक में समाज कल्याण विभाग से श्री जी. आर उनियाल, संयुक्त निदेशक द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि बाल श्रम करने वाले बच्चों को जब रेस्क्यू किया जाता है तो जो टीम रेस्क्यू करती है उसी टीम के द्वारा अपने वाहन से बच्चों को बाल गृह लाया जाता है। सभी विभागों से वार्ता कर संज्ञान में आया है कि बालश्रम से रेस्क्यू किये जाने हेतु वाहन की उपलब्धता नही है। शिक्षा विभाग द्वारा बताया गया कि सरकारी एंव गैर सरकारी विद्यालयों में एंटी ड्रग कंट्रोल कमिटियां बनाई गई है, जिन स्कूलों में नही बनी है उन स्कूलों के लिये निर्देश जारी किये गये है। मा० अध्यक्ष द्वारा निर्देशित किया गया कि विद्यालयों में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, स्काउट गाईड, Adolsent, UNESCO, PTA आदि जिस भी नाम से कोई कमिटी चल रही हो उसी के द्वारा ड्रग कंट्रोल कमिटी द्वारा कार्य कराया जाये। बच्चों की काउंसलिंग से जरूरी अभिभावकों की काउंसलिंग जरूरी है। श्रम विभाग से एडिशनल लेबर कमिश्नर उपस्थित थे, उनके द्वारा कहा गया कि हमने जून माह में 52 बच्चे और 41 किशोरों को श्रम से रेस्क्यू किया। अध्यक्ष द्वारा श्रम विभाग को निर्देशित किया गया कि बाल श्रम को रेस्क्यू करने में वाहन की समस्या रहती है, इसके लिये कोई नियमावली नही है। अध्यक्ष के निर्देश हुये कि इस समस्या पर शीघ्र एस0ओ0पी0 तैयार करते हुये बैठक आयोजित की जाये। अपर सचिव महिला कल्याण ने कहा की बाल संरक्षण समितियों से सम्बन्धित अधिकारियों / सदस्यों का प्रशिक्षण होना चाहिये क्योकि वे धरातल पर कार्य करते हैं। अध्यक्ष द्वारा निर्देश दिये गये कि जिन जिलों में / विकास खण्डों में / ग्राम स्तर पर बाल संरक्षण समितियों का गठन नहीं हुआ है उनमें यथाशीघ्र बाल संरक्षण समितियों का प्रत्येक स्तर पर गठन किया जाये। समाज कल्याण द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि हवलबाग सरकारी केन्द्र है किन्तु वहां पर मात्र 02 व्यक्ति पंजीकृत है। वर्तमान में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से भारत सरकार द्वारा 04 नशा मुक्ति केन्द्र संचालित है। हरिद्वार चमोली, पिथौरागढ और हल्द्वानी स्वास्थय विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में दिनांक 29.06.2022 को तृतीय राज्य स्तरीय एन०सी०ई०ओ०आर०डी० में चिकित्सा एवं स्वास्थय विभाग को मानकों एवं प्रतिबन्धों के साथ एक सप्ताह में नियमावली प्रख्यापित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया हैं। आयोग द्वारा बाल नशा मुक्ति केन्द्र के गठन हेतु बैठक आहुत की गई थी, किन्तु बैठक के दौरान संज्ञान में आया कि नशा मुक्ति केन्द्रो हेतु कोई नियमावली एंव मानक ही निर्धारित नही की गई है, जिसके कारण जो नशा मुक्त केन्द्र बन्द किये गये है वो उच्च न्यायालय से मानको के अभाव के आधार पर पुनः संचालित किया गया। अध्यक्ष द्वारा कहा गया कि जल्द ही आयोग एंव चिकित्सा एवं स्वास्थय विभाग तथा समाज कल्याण विभाग के साथ एस0ओ0पी0 तैयार किये जाने हेतु बैठक करेंगें, जिसमें बच्चों के नशा मुक्ति से बचाव तथा पुर्नवास (Prevention and Rehabilitation) के सम्बन्ध में चर्चा की जायेगी उत्तराखण्ड में अभी तक राज्य बाल नीति नही बनी है, जो कि शासन स्तर पर महिला सशक्तिकरण एंव बाल विकास विभाग द्वारा बनायी जानी है। डॉ गीता खन्ना द्वारा बैठक में कहा गया कि आयोग जल्द ही बाल नीति के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभागों के साथ बैठक करेंगी। बैठक में महानिदेशक स्वास्थय द्वारा प्रतिभाग नही किया गया, जिस हेतु उनके साथ बैठक किये जाने हेतु निर्देशि किया गया। बैठक में आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण, सचिव आलोक कुमार पाण्डेय श्री प्रदीप रावत निदेशक महिला कल्याण, अनिल पेटवाल एडिश्नल लेबर कमिश्नर विनोद कुमार, निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह, समाज कल्याण विभाग, गरिमा, सचिव चिकित्सा विभाग, शासन कुमार माध्यमिक शिक्षा, रोशनी सती, अनुसचिव उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग, ममता रौथाण विधि अधिकारी, निशात इकबाल, बाल मनौवैज्ञानिक आदि उपस्थित रहे।