रूला गये 😥😥 — कैलाश भट्ट जी अब कौन बनायेगा पहाडी टोपी और मिरजई परिधान, अब कौन करेगा हमसे लम्बी बातें..
फूलदेई त्यौहार के दिन आज एक हृदय विदारक घटना नें झकझोर कर रख दिया। पहाडी टोपी और मिरजई परिधान को बनाने वाले लोकसंस्कृतिकर्मी कैलाश भट्ट अब हमारे बीच नहीं रहे। अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है। खबर सुनकर स्तब्ध हूँ। भट्ट जी रूला गये आप। अभी तो लोकसंस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए आपसे लंबी लम्बी बातें करने थी। भट्ट जी अब कौन बनाएगा हमारे लिए पहाडी टोपी..
कैलाश भट्ट जी जैसे लोकसंस्कृति के पुरोधा का यों ही असमय चले जाना है बेहद पीडादायक है। जिससे एक खालीपन हो गया है। जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। उन्होने मिरजई परिधानों से पहली बार साक्षत्कार करवाया। इसको संजोने का बीडा खुद के कंधों पर उठाया। जीवनभर चुपचाप लोक की सेवा करते हुये चुपचाप इस दुनिया से चले गये। उनका जाना मेरे लिये व्यक्तिगत एक अपूर्णीय क्षति है। विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी पहाड़ी टोपी और पहाड़ी मिरजई परिधानों को कैलाश भट्ट ने नया जीवन दिया था। जनपद चमोली के गोपेश्वर में हल्दापानी में रहने वाले कैलाश भट्ट द्वारा बनाये गए टोपी और मिरजई परिधानों के कई जानी मानी हस्तियाँ प्रशंसक और मुरीद थी।
अभी तो इतनी जल्दी जानें की बात तो नहीं थी कैलाश भट्ट जी..
नमन और श्रद्धांजलि।
बहुत याद आओगे कैलाश भट्ट जी।